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नवम प्राभृत ]
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एवं अवड्डपोरिसिं छोढुं छोढुं पुच्छा, दिवसभागं छोढुं छोढुं वागरणं जाव .... प. ता अउणसट्ठि-पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा ? उ. ता एगूणवीस-सय-भागे गए वा, सेसे वा। प. ता अउणसट्ठिपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा? उ. ता वावीसहस्सभागे गए वा, सेसे वा। प्र. ता साइरेग-अउणसट्ठि-पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा ? उ. ता नत्थि किंचि गए वा, सेसे वा। तत्थ खलु इमा पणवीसविहा छाया पण्णत्ता, तंजहा -
१. खंभ-छाया २. रज्जु-छाया ३. पागार-छाया ४. पासाय-छाया ५. उग्गम-छाया ६. उच्चत्तछाया ७. अणुलोम-छाया ८. पडिलोम-छाया ९. आरंभिया-छाया १०. उवहया-छाया ११. समा-छाया १. एवमित्ययदि-एवमुक्तेन प्रकारेण 'अर्द्धपौरुषी' अद्धपुरुषप्रमाणां छाया क्षिप्त्वा, क्षिप्त्वा पृच्छा पृच्छासूत्रं द्रष्टव्यं ।
- सूर्य. टीका. २. दिवसभाग' ति, पूर्व-पूर्वसूत्रापेक्षया एकैकमधिकं दिवसभागं क्षिप्त्वा क्षिप्वा व्याकरणं, उत्तरसूत्रं ज्ञातव्यम्।
- सूर्य. टीका. ३. यहां अंकित प्रश्नोत्तर यहां दी गई संक्षिप्त वाचना की सूचनानुसार संशोधित है। सूर्यप्रज्ञप्ति की '१ आ. स.। २ शा. स.। ३ अ.सु.। ४ ह.ग्र.' इन चारों प्रतियों में दिये गये प्रश्नोत्तर यहां दी गई संक्षिप्त वाचना की सूचना से कितने विपरीत हैं ? यह निर्णय पाठक स्वयं करें। प. 'ता अद्धअउणसट्ठि पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा? उ. ता एगूणवीससयभागे गए वा, सेसे वा। प. ता अउणसट्ठि पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा? उ. ता बावीस-सहस्स भागे गए वा, सेसे वा। प. ता साइरेग-अउणसट्ठि-पोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गए वा, सेसे वा? उ. ता नत्थि किंचि गए वा, सेसे वा। (क) यहां इन प्रश्नोत्तरों में व्यतिक्रम हो गया प्रतीत होता है। सर्वप्रथम साढे गुनसठ पौरुषी छाया का प्रश्नोत्तर है। द्वितीय प्रश्नोत्तर गुनसठ पौरुषी छाया का है। तृतीय प्रश्नोत्तर कुछ अधिक गुनसठ पौरुषी छाया का है। (ख) यहां प्रश्नों के अनुरूप उत्तर भी नहीं है। प्रथम प्रश्नोत्तर में - 'साढे गुनसठ पौरुषी छाया, एक सौ उन्नीस दिवस भाग से निष्पन्न होती है' ऐसा माना है किन्तु संक्षिप्तवाचना पाठ के सूचनानुसार एक सौ बीस दिवस से निष्पन्न होती है।
द्वितीय प्रश्नोत्तर में - गुनसठ पौरुषी छाया की निष्पत्ति बावीस हजार दिवस भाग से होती है - ऐसा माना है, किन्तु यह मानना सर्वथा असंगत है, क्योंकि संक्षिप्त वाचना के सूचनापाठ की टीका में एक एक दिवस भाग बढ़ाने का ही सूचन है।
तृतीय प्रश्नोत्तर में - प्रश्न ही असंगत है, क्योंकि संक्षिप्त वाचना के सूचना पाठ में अर्द्ध पौरुषी छाया से संबंधित प्रश्न हो तो यहां कहा गया उत्तरसूत्र यथार्थ है।