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Vasurevasanasamaeratevaporaasuwasawerdevanama
हाथ लगी असलाइ लागे ; पण वचमा गाउँ नीकळी शके तेवो मार्ग होय तो न लागे. तथा|| स्त्रीने महीने महीने स्त्रीधर्म (अटकाव) आवे तो ३ दिवस असलाइ लागे . जे स्त्रीने लोहीवा | होय तो त्रण दिवस रजोदर्शनना वीत्या बतां पण रुधिर वहे तो असलाइ उमहावणि लोगस्स || १ नो काउसग्ग कर्या पनी १ पहोर वीत्ये असलाइ मटे . आगल उल्कापातथी लागती || असा संबंधी लखा गयुं बे; पण जो आओ नक्षत्रथी मामी चित्रा स्वाति नक्षत्र लगी गाज | वीज थाय तो असकाइ लागती नथी. तथा नूमिकंप-धरती धूजे तो पहोरनी असलाइ लागे बे. | तथा आग लाग्यो होय ते न उलाय त्यां सुधी असज्जाइ तथा चंग्रहण ग्रस्तास्त थयेल होय तो | | उत्कृष्टपणे १५ पहोरनी असाइलागे कारण के-उगेलोजचंड असायलो अथवा खग्रास होवाथी | असायलोज रात्रिने अंते अस्त थयो होय तेथी ए पूर्णिमानी रात्रिना ४ पहोर अने पम्वेनीरात तथा | दिवस मली - पहोर, एम १५ पहोरनी असला गणाय . अथवा को साधु न जाणतो होय के ग्रहण क्यारे थशे, मात्र एटझुंज जाणतो होय के आज पूनम दोवाथी ग्रहण थशे; तथापि
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