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Varmavemama/RamvasasaramamVIBaa/navam
केष राखे. ५, “ नाणयासायणाए"-शाननी आशातना करे. ५, पाणविसंवादणा जोगेणं "-शा|| ननो व्यनिचार बतावे अथवा ज्ञानथी विपरीत उपदेश करे. ६, था प्रकारे ज्ञानावरणी कर्म | शरीर प्रयोग नामकर्मना उदयवमे झानावरणी कर्म शरीर प्रयोग बंध अर्थात् था उ प्रकारथी झानावरणी कर्म बंधाय जे. तथा ते कर्म पांच अथवा दश प्रकारथीनोगवाय जे. तेमां मतिज्ञानावरणी १, श्रुतझानावरणी २, अवधिज्ञानावरणी ३, मनपर्यवज्ञानावरणी, अने केवलज्ञानावरणी५, | ए पांच ज्ञान प्रकट थवा न दे. तेमज दश प्रकार ए जे के सोयावरणे १, सोयविन्नाणवरणे २, | नेतावरणे ३, नेतविन्नाणवरणे , घाणावरणे ५, घाणविन्नाणवरणे ६, जीनावरणे , जीनविन्नाण| वरणे ७, फासावरणे ए, फासविन्नाणवरणे १०, आ दश प्रकारे नोगवाय . ए ज्ञानावरणी कर्मनी | स्थिति था प्रमाणे ले के-जघन्य अंतर्मुहूर्त अने उत्कृष्ट त्रीश कोमाकोमी सागरनी तथा अबाधा | काळ त्रण हजार वर्षनो .
दर्शनावरणी उ प्रकारे बंधाय डे अने नव प्रकारे नोगवाय ले, ते ए के-( प्रकार ज्ञानावर
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