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प्रश्नोत्तर
प्रश्नोत्तर. ॥१५६॥
IND
Vanwar
प्रश्न ३-केटलाक महाशयो जाहेर करे ले के वाचना तो श्री स्कंदिलाचार्यजीए शरु करी ने अने श्रीदेवर्द्धिगणिक्षमाश्रमणजीए ते वाचनाने पुस्तकारूढ करेल , एम आत्मप्रबोध ग्रंथमां जे?
उत्तर ३-हा, ते वात तेमां ! .
प्रश्न ४--केटलाक कहे जे के--चोथना पजुसण करनारज सन्नासमद श्री कल्पसूत्र वांची शके एवीज मर्यादा जे. जो चोथ न करे तो श्री कल्पसूत्र सन्नानी अंदर न वंचाय ए बाबतनो खुलासो केवी रीतिनो ? ___ उत्तर ४-हे समीक्षक! तमारा कहेवा प्रमाणे श्री कल्पसूत्रनी व्याख्याउनी अंदर आने अंतरवाचनानी अंदर 'एगग्ग चित्ताजिणसासणंमि, पन्नावणा पूय परायणा जे ॥ तिसत्तवारं निसुणंति कप्पं, नवएणवं गोयम ते तरंति ॥ १॥ एटले के श्री वीरप्रनुजी गौतमस्वामीप्रत्ये फरमावे के-'गौतम! जे प्राणी, था कल्पसूत्रने पूजी अने प्रनावनायुक्त एकाग्रचित्तनी सावधानी सहित आ जिनशासनने विषे विधिपूर्वक श्री गुरुमहाराजनी पासे एकवीश वखत सां
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