Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 04
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

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Page 25
________________ ત્રીજો પ્રકાર (દશમો ગણ અને પ્રેરઠ માટે - દ્વિત થશે) પ્રત્યય પરસ્મપદ આત્મપદ मे.व. वि. स.व. | मे.व. वि . स.व. पुरुष 1 अम् व म वहि महि पुरुष 2 स् तम् त थास् इथाम् ध्वम् पुरुष 3 त ताम् अन् / त् इताम् अन्त રૂપાખ્યાન कण(काणयति-ते) - 10,52. सवा 2do | च्यु(च्यावति-ते) - 1,52. inj, पर अचीकणम् / अचीकणाव ।अचीकणाम / अचिच्यम् / अचिच्यवाव / अचिच्यवाम / अचकाणम् / अचकाणाव अचकणाम अचुच्यवम् | अचुच्यवाव अचुच्यवाम ) अचीकण: / अचीकणतम् / अचीकणत ] अचिच्यवः / अचिच्यवतम् / अचिच्यवत / अचकाण: J अचकाणतम् Jअचकाणत अचुच्यव: / अचुच्यवतम् अचुच्यवत / अचीकणत् / अचीकणताम् / अचीकणन् / अचिच्यवत् / अचिच्यवताम् / अचिच्यवन् / अचकाणत् / अचकाणताम् अचकाणन् अचुच्यवत् / अचुच्यवताम् / अचुच्यवन् /

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