Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 04
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

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Page 73
________________ अदिग्ध . આત્મપદ द्विष् - 2,6. द्वेष ध्रवो अधिक्षि अधिक्षावहि अधिक्षामहि પરસ્મપદ अधिक्षथाः। अधिक्षाथाम् अधिक्षध्वम् / | अद्विक्षम् अद्विक्षाव अद्विक्षाम अदिग्धा: / अद्विक्षः अद्विक्षतम् अद्विक्षत अधिक्षत / अधिक्षाताम् अधिक्षन्त। अद्विक्षत् अद्विक्षताम् अद्विक्षन् આત્મને પદ दुह् - 2, 6. j अद्विक्षि अद्विक्षावहि अद्रिक्षामहि પરૌપદ अद्विक्षथा: अद्विक्षाथाम् अद्विक्षध्वम् अधुक्षम् अधुक्षाव अधुक्षाम अद्विक्षत अद्विक्षाताम् अद्विक्षन्त अधुक्षः अधुक्षतम् अधुक्षत मिह - 1, 52. सिंय अधुक्षत् अधुक्षताम् अधुक्षन् अमिक्षम् अमिक्षाव अमिक्षाम આત્મપદ अमिक्ष: अमिक्षतम् अमिक्षत अधुक्षि अधुक्षावहि / अधुक्षामहि / / अमिक्षत् अमिक्षताम् अमिक्षन् अदुह्वहि / अदुह्महि ग मृश् - 6, पर. वियार ऽरवो अधुक्षथा: / अधुक्षाथाम् अधुक्षध्वम् / / अमृक्षम् अमृक्षाव अमृक्षाम अदुग्धाः / अधुग्ध्वम् | अमृक्षः अमृक्षतम् . अमृक्षत अधुक्षत अधुक्षाताम् अधुक्षन्त अमृक्षत् अमृक्षताम् अमृक्षन् You संस्कृत धातु पालती Xxx H ARY

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