Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 04
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan
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________________ हन् ग्रह तिज 2GI5 अगत्यना मने 2GIS अनियमित छाश 35o (तु.पु. मे.व.) - दिधरिषते / जि - जिगीषति / - दिदरिषते / - जिघांसति / - जिगरिषति / जिगलिषति / अधि + इ - अधिजिगांसते / - चिकरिषति / - दिदीषते / प्रच्छ् - पिपृच्छिषति / - दिधीर्षति-ते / - जिघृक्षति / - जिघुक्षति-ते / - तितिक्षते / - पित्सते / - जुगुप्सते / - रित्सति / - जिज्ञासते / - दित्सति-ते / - शुश्रूषते / - धित्सति-ते / - सुस्मूर्षते / - लिप्सते / - दिदृक्षते / - मित्सति-ते / - उचिच्छिषति / - तुष्टूपति-ते / रुद् - रुरुदिषति / - सिस्वेदयिषति-ते / पठ् - पिपठिषति / स्वद् - सिस्वादयिषति-ते / EAL Tोध संत धातु उपापली MINIST स्विद् H

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