Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 04
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

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Page 79
________________ આભનપદ स्था - 1, 52. उभा रहे ह्वासीय हवासीवहि हवासीमहि स्थेयासम् स्थेयास्व स्थेयास्म वासीष्ठा: वासीयास्थाम् वासीध्वम् स्थेया: स्थेयास्तम् स्थेयास्त ह्वासीष्ट वासीयास्ताम् ह्वासीरन् स्थेयात् स्थेयास्ताम् स्थेयासु : डेटGIs अगत्यना तथा अनियमित आशीवाहा 35o (तु.पु.मे.व.) अञ्ज - अज्यात् / जन् - जनिषीष्ट इ -ईयात् / तन् - तन्यात् / तनिषीष्ट / उद्+इ - उदियात् / दा - देयात् / कथ् - कथ्यात् / दिव्- दीव्यात् / कम्- कमिषीष्ट / दे - दासीष्ट / खन् - खन्यात्/ खायात्/खनिषीष्ट दो - देयात् / गम्- गम्यात् / (संगंसीष्ट- संगसीष्ट) धा - धेयात /धीसीष्ट / गै - गेयात् / धे- धेयात् / ग्रह - गृह्यात् / ग्रहीषीष्ट / पा - पेयात् / पायात् / ग्लै- ग्लेयात् / ग्लायात् / प्रच्छ् - पृच्छ्यात् / घ्रा - घेयात् / घ्रायात् / भ्रस्ज् - भृज्यात् / भक्षीष्ट / भीष्ट / ou Arga uld Full HDI KE Y

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