Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 04
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

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Page 33
________________ स्वर् (स्वरयति-ते)- असस्वरत् / रच् (रचयति-ते) - अररचत् / कल् (कलयति-ते)- अचकलत् / मह (महयति-ते)- अममहत् / स्पृह (स्पृहयति-ते)- अपस्पृहत् / कुमार् (कुमारयति-ते)- अचुकुमारत् / शील् (शीलयति-ते)- अशिशीलत् / साम् (सामयति-ते)- अससामत् / वेल (वेलयति-ते)-अविवेलत् / काल (कालयति-ते) - अचकालत् / गवेष (गवेषयति-ते)- अजगवेषत / भाज् (भाजयति-ते)- अबभाजत् / ध्वन् (ध्वनयति-ते)- अदध्वनत् / कूट (कूटयति-ते)- अचुकूटत् / KH Kcilu dega uld पापली MIDI- संकेत् (संकेतयति-ते)- अससंकेतत् / रतेन् (स्तेनयति-ते)- अतिस्तेनत् / गृह (गृहयते)- अजगृहत / मृग् (मृगयते)- अममृगत / सूच् (सूचयति-ते)- असुसूचत् / निवास (निवासयति-ते)- अनिनिवासत् / पद् (पदयते)- अपपदत / कुह् (कुहयते)- अचुकुहत / शूर् (शूरयते)- अशुशूरत / वीर् (वीरयते)- अविवीरत / स्थूल् (स्थूलयते)- अतुस्थूलत / अर्थ (अर्थयते)- आतीर्थत / सूत्र (सूत्रयते)- असूसुत्रत / ग (गर्वयते)- अजगर्वत / 24K

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