Book Title: Subodh Sanskrit Dhatu Rupavali Part 04
Author(s): Rajesh Jain
Publisher: Tattvatrai Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 41
________________ આત્મપદ अनौत्सीत् अनौत्ताम् अनौत्सुः अनिक्षि अनिक्ष्वहि अनिक्ष्महि આત્મપદ अनिक्था: अनिक्षाथाम् अनिग्ध्वम् अनुत्सि अनुत्स्वहि अनुत्स्महि अनिक्त अनिक्षाताम् अनिक्षत अनुत्था: अनुत्साथाम् अनुद्ध्वम् नी-१,6. Grj अनुत्त अनुत्साताम् अनुत्सत પરપદ पच्- 1, 6.2ij अनैषम् अनैष्व अनैष्म પરપદ अनैषी: अनैष्टम् अनैष्ट अपाक्षम् अपाक्ष्व अपाक्ष्म अनैषीत् अनैष्टाम् अनैषुः अपाक्षी: अपाक्तम् अपाक्त આત્મપદ अपाक्ताम् अपाक्षीत् अनेषि अपाक्षुः अनेष्वहि अनेष्महि अनेष्ठाः આત્મપદ अनेषाथाम् अनेढ्वम् अनेष्ट अनेषाताम् अनेषत अपक्षि अपक्ष्वहि अपक्ष्महि अपक्था: नुद्-६,6. प्रेरel 5रवी अपक्षाथाम् अपग्ध्वम् अपक्त પરએપદ अपक्षाताम् . अपक्षत अनौत्सम् अनौत्स्व अनौत्स्म पद्- ४,मा. अनौत्सी: अनौत्तम् अनौत्त अपत्सि अपत्स्वहि अपत्स्महि Regilu dega ulतु पापली MI-RELEASE 3RK

Loading...

Page Navigation
1 ... 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108