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6 : श्रमण, वर्ष 66, अंक 1, जनवरी-मार्च 2015
कभी-कभी स्वप्न में आने वाली बीमारी भी दिखाई देती है। यह बीमारी सम्भव है कि उसी रूप में न दिखाई दे, जिस रूप में वह आने वाली है। स्वप्न में कोई बड़ा राक्षस पीड़ा देता हुआ दिखाई दे या कोई भूत हमें सता रहा हो, ऐसे स्वप्न आने वाली बीमारियों के सूचक होते हैं। इन स्वप्नों का कारण शारीरिक उत्तेजनाएँ होती हैं।
हमारे अचेतन मन की शक्ति, चेतन मन की शक्तियों से कहीं अधिक हैं। हम मन की अचेतन अवस्था में शरीर के उन अनेक विकारों को जान लेते हैं, जिनके भविष्य में बीमारी के रूप में प्रगट होने की संभावना हो । ९
भारतीय मनोविज्ञान में स्वप्न के कारण :
भारतीय मनोवैज्ञानिकों के अनुसार स्वप्न के अनेक कारण हो सकते हैं१- वात, पित्त तथा कफ धातुओं के दोष के कारण स्वप्न उत्पन्न होते हैं । २- किसी तीव्र इच्छा के कारण स्वप्न में इच्छित वस्तु दिखलाई देती है। ३-धर्म और अधर्म के कारण भी कुछ स्वप्न दिखलाई देते हैं । ४कुछ स्वप्नों से भविष्य की सूचना मिलती है। ये स्वप्न अदृष्ट के कारण होते हैं। आधुनिक फ्रायडवादी मनोविश्लेषण - शास्त्र की तरह ही भारतीय दर्शन में मन के अवचेतन भाग की कल्पना की गई है, जिसे संस्कार कहते हैं। सारे स्वप्न इसी संस्कार की देन हैं । १°
क्या कहता है स्वप्न मनोविज्ञान ?
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार स्वप्न के मनोदैहिक सिद्धान्त
स्वप्न सिद्धातों को मुख्यरूप से दो भागों में विभाजित किया गया है१- दैहिक सिद्धान्त, २- मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त
१- दैहिक सिद्धान्त
दैहिक सिद्धान्त वह सिद्धान्त है जो स्वप्न की व्याख्या दैहिक या शारीरिक प्रक्रियाओं के आधार पर करता है। यह सिद्धान्त यह मानता है कि स्वप्न बाह्य तथा आन्तरिक उत्तेजकों के प्रभाव से ही उत्पन्न होते