________________
लीलावाई कहा में अलंकार व्यवस्था : 67 जाते हैं। प्रकृति चित्रण, युद्धवर्णन, नारी सौन्दर्य आदि के प्रसंग में विविध रस अपने आप ही स्थान बना लेते हैं। काव्य की गरिमा में छंदों का भी विशेष स्थान होता है परन्तु महाकवि कौतूहल ने अपने इस महाकाव्य में प्रायः गाथा छंद का ही प्रयोग किया है। छंद से कवि कौतूहल के काव्य की भी पहचान होती है और उनकी शब्द सम्पदा का भी आभास होता है। महाकवि होने के कारण कवि ने जो कुछ भी इस प्रेम कथानक में रमणीय चित्रण किया है उसमें रस, छंद और अलङ्कार होना स्वाभाविक है इसी से काव्य की शोभा बढ़ती है। साथ ही कवि के हृदय का भाव, यश, कीर्ति आदि का ज्ञान भी होता है।
सन्दर्भ सूची :
१. जैन माया, आचार्य विद्यासागर व्यक्तित्व एवं काव्य कला, पृ० १९३, आचार्य ज्ञानसागर, वागर्थ विमर्श केन्द्र, ब्यावर (राज) १९९७
२. काव्यालंकार, ३.१.२
३. वाग्भटालंकार, ४/१७
*****