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स्वप्न : एक मनोवैज्ञानिक चिन्तन : 17 १३. (क) कल्पसूत्र - संपादक - महोपाध्याय विनयसागर, सू० ७१
(ख) भगवतीसूत्र - मधुकर मुनि, (भाग - ३) पृ० ८०-८१ (ग) स्वप्नसार-समुच्चय, पूर्वोक्त (भूमिका पृ० २५-६) (घ) भगवतीसूत्र में स्वप्रचर्चा में ३० महास्वप्नों तथा ४२ सर्व स्वप्नों का उल्लेख किया गया है। तीर्थंकरों की माताओं द्वारा देखे जाने वाले १४ स्वप्न
३० महास्वप्नों के ही अंतर्गत हैं। भगवतीसूत्र-मधुकर मुनि, भाग-३, पृ. ८१ १४. आधुनिक असामान्य मनोविज्ञान, पूर्वोक्त, पृ० १७७ ।
(क) ऋषभदेव - एक परिशीलन, आचार्य देवेन्द्र मुनि, पृ० १६७-८ (ख) त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित (प्रथम पर्वगत), श्री गणेश ललवानी, पृ०
१४९-५२ १६. विद्यालंकार जगदीश प्रसाद, भारतीय मनोविज्ञान, पूर्वोक्त, पृ० १६० १७. स्वप्नसार-समुच्चय, पूर्वोक्त पृ० २६-७
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