Book Title: Sramana 2015 01
Author(s): Sundarshanlal Jain, Ashokkumar Singh
Publisher: Parshvanath Vidhyashram Varanasi

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Page 37
________________ 30 : श्रमण, वर्ष 66, अंक 1, जनवरी-मार्च 2015 मतिज्ञानी द्रव्य की अपेक्षा से सामान्य प्रकार से जीव और पुद्गलों के गति आश्रय के कारणभूत धर्मास्तिकाय आदि सब द्रव्यों को जानता है, उनकी सब पर्यायों को नहीं जानता है, कुछ अंशों में विशेष रूप से भी जानता है, जैसा कि धर्मास्तिकाय गति-सहायक द्रव्य है। वह अमूर्त और लोकाकाशप्रमाण है। किन्तु धर्मास्तिकाय आदि को सर्वात्मना नहीं देखता। लेकिन उचित देश में अवस्थित घट आदि को देखता भी है। इसी प्रकार क्षेत्र से वह लोकालोक क्षेत्र, काल से अतीत-वर्तमानअनागत काल तथा भाव से उदय आदि पांच भावों को जानता है। उपर्युक्त वर्णन में मतिज्ञानी सर्व द्रव्य को जानते और देखते हैं, ऐसा उल्लेख किया गया है। किन्तु मतिज्ञान और श्रुतज्ञान परोक्षज्ञान होने से सूक्ष्म, दूरस्थ और व्यवहित विषय को नहीं जानता है, तो फिर कैसे सभी द्रव्यों को जानता है? यहाँ यह शंका उत्पन्न होती है। अत: इस समस्या के समाधान के लिए यहाँ आदेश शब्द का प्रयोग किया गया है। आदेश वस्तु को जानने का एक प्रकार है। अत: यहाँ सर्व शब्द आदेश की अपेक्षा से प्रयुक्त हुआ है। आदेश सामान्य और विशेष दोनों प्रकार से प्रयुक्त होता है। मतिज्ञानी सूत्रादेश के द्वारा सर्व द्रव्यों धर्मास्तिकाय आदि को जानता है, यह कथन द्रव्य सामान्य की अपेक्षा से है। सूक्ष्म परिणत द्रव्यों को वह नहीं जानता, यह कथन विशेष आदेश की अपेक्षा से है। मतिज्ञानी सर्व द्रव्य से नहीं देखता है, यह वर्णन भी सापेक्ष है। नंदीचूर्णिकार इस सम्बन्ध में कहते हैं कि यह निषेध सामान्य आदेश से है, विशेष आदेश की अपेक्षा से वह देखता है, जैसे चक्षु से रूप को देखता है।१० 'भगवतीसूत्र' में “दुव्वओ णं अभिणिबोहियनाणी आएसेणं सव्व दव्वाइं जाणइ, पासइ।।११” जबकि 'नंदीसूत्र' के पाठ में "आएसेणं सव्वाइं दव्वाइं जाणइ, ण पासई" आता है। अर्थात् 'भगवती' में 'पासई' और 'नंदीसूत्र' में ‘ण पासई' क्रिया का प्रयोग किया है। ‘भगवतीसूत्र' के टीकाकार अभयदेवसूरि१२ इसको वाचनान्तर मानते हुए इस विसंगति का समन्वय निम्न प्रकार से करते हैं कि यद्यपि आदेश पद का श्रुत अर्थ करके श्रुतज्ञान से उपलब्ध धर्मास्तिकाय आदि द्रव्यों का मतिज्ञानी अवाय और धारणा की अपेक्षा से जानता और अवग्रह तथा ईहा की

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