Book Title: Shrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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श्रुतसागर
15
साधु राणा गुण समरई कुमर वइरागीउ रे, लीणो तेइं ध्यानिं । सारे (रि) पासे रमवानो रस छंडीउ रे, जाणई जाउं रानि ।। २५ ।।
जुलाई २०१४
सील सोहामणो रे...
वली तिई तान मान राग रंग रस छंडीया रे, छंड्या गीत कवीत्त । घोडा हाथी राम ते रमवी सहू तजी रे, उपशम आणी चित्त || २६ ॥ सील सोहामणो रे... जातीसमरण पागीनई ते जागीओ रे, भागी भवनी चांति' । सील सुधारसमां हे कुंयरजी झीलतो रे, संयमनी करई खांति ।। २७ ।। सील सोहामणो रे...
एमई अवरारि ते राजा-राणी चिंतवई रे, कुमर न राचई भोग । यौवनवय पागीनई वयरागी थयो रे, जाणे लीधो योग ।।२८।।
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सील सोहामणो रे...
हवई ते राजा राणी साजन सहु मली रे, परठई परठ अपार । पाणीग्रहण करावो कुमरी आठनुं रे, पाडो पासि कुमार ( ? ) ||२९ ।।
सील सोहामणो रे...
राई तेडाव्यो कुमरनई तिहां भोलाववा रे, बोलावई धरि नेह । मीठे मीठे बोलडे बोलावीओ रे, तोहि न पल्लई तेह ||३० ।।
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सील सोहामणो रे...
राय भई छ । यौवनवय छइं ताहरी रे, ताहरी नवली वेस । ए अवसर छइ भोग वणो भलो रे, तुं कांकरई कलेस
।।३१ ।।
सील सोहामणो रे....
गीयरस तियस्स तंति" तणा रस रुपडा रे, कछु कवित्तह भेय । ए पंचई जिण जगमाहिं नवि जाणीया रे, दैवई डंख्या तेय ||३२||
सील सोहामणो रे...
मई मंडाव्यामोट मंदिर मालीयां रे, ए ताहरु छइं र ज । आठई धरणी परणीनई भोगवो रे, पंचविषय सुख आज | |३३||
सील सोहामणो रे...

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