Book Title: Shrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 81
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org श्रुतसागर 79 जुलाई २०१४ महावीरालय की विशिष्टता यह है कि आचार्य श्री कैलाससागरसूरीश्वरजी म.सा. के अन्तिम संस्कार के समय प्रतिवर्ष २२ मई को दुपहर २ बजकर ७ मिनट पर महावीरालय के शिखर में से होकर सूर्य किरणें श्री महावीरस्वामी के ललाट को सूर्यतिलक से देदीप्यमान करे ऐसी अनुपम एवं अद्वितीय व्यवस्था की गई है. प्रति वर्ष इस आह्लादक घटना का दर्शन बड़ी संख्या में जनमेदनी भावविभोर होकर करती है. Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private and Personal Use Only · (२) आचार्य श्री कैलाससागरसूरि स्मृति मंदिर (गुरु मंदिर ) : पूज्य गच्छाधिपति आचर्यदेव प्रशान्तमूर्ति श्रीमत् कैलाससागरसूरीश्वरजी के पुण्य देह के अन्तिम संस्कार स्थल पर पूज्यश्री की पुण्य स्मृति में संगमरमर का नयनरम्य कलात्मक गुरु मंदिर निर्मित किया गया है. स्फटिक रत्न से निर्मित अनन्तलब्धिनिधान श्री गौतमस्वामीजी की मनोहर मूर्ते तथा स्फटिक से ही निर्मित गुरु चरण पादुका वास्तव में दर्शनीय हैं. (३) आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमन्दिर ( ज्ञानतीर्थ) : विश्व में जैनधर्म एवं भारतीय संस्कृति के विशालतम अद्यतन साधनों से सुसज्ज शोध संस्थान के रूप में अपना स्थान बना चुका यह ज्ञानतीर्थ श्री महावीर जैन आराधना केन्द्र की आत्मा है. ज्ञानतीर्थ स्वयं अपने आप में एक लब्धप्रतिष्ठ संस्था है. आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर के अन्तर्गत निम्नलिखित विभाग कार्यरत हैं: (i) देवर्द्धिगणि क्षमाश्रमण हस्तप्रत भांडागार (ii) आर्य सुधर्मास्वामी श्रुतागार ( मुद्रित पुस्तकों का ग्रंथालय ) (iii) आर्यरक्षितसूरि शोधसागर (कम्प्यूटर केन्द्र सहित ) (iv) सम्राट सम्प्रति संग्रहालय : इस कलादीर्घा - म्यूजियम में पुरातत्व - अध्येताओं और जिज्ञासु दर्शकों के लिए प्राचीन भारतीय शिल्प कला परम्परा के गौरवमय दर्शन इस स्थल पर होते हैं. पाषाण व धातु मूर्तियों, ताड़पत्र व कागज पर चित्रित गण्डुलिपियों, लघुचित्र, पट्ट, विज्ञप्तिपत्र, काष्ठ तथा हस्तिदंत से बनी प्राचीन एवं अर्वाचीन अद्वितीय कलाकृतियों तथा अन्यान्य पुरावस्तुओं को बहुत ही आकर्षक एवं प्रभावोत्पादक ढंग से धार्मिक व सांस्कृतिक गौरव के अनुरूप प्रदर्शित की गई है. (v) शहर शाखा : पूज्य साधु-साध्वीजी भगवंत एवं श्रावक-श्राविकाओं को स्वाध्याय, चिंतन और मनन हेतु जैनधर्म कि पुस्तकें नजदिक में ही उपलब्ध हो सके इसलिए बहुसंख्य जैन बस्तीवाले अहमदाबाद ( पालडी टोलकनगर ) विस्तार में आचार्य श्री कैलाससागरसूरि ज्ञानमंदिर की एक शहर शाखा का ई. सं. १९९९ में प्रारंभ किया गया था. जो आज चतुर्विध संघ के श्रुतज्ञान के अध्ययन हेतु निरंतर अपनी सेवाएँ दे रही है.

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