Book Title: Shrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba
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उपा. श्रीसमयसुंदरगणिकृता यतिअंतिमआराधना
सा. जिनरत्नाश्रीजी प्रस्तुत संपादनमा उपा. श्रीसमयसुंदरजी कृत 'यतिअंतिमआराधना' प्रस्तुत छे. तेनुं बीजुं नाम साधुआराधना छे. मरणसमय पहेलां साधुभगवंतोए आत्मशुद्धि माटे केवा प्रकारनी आराधना करची जोइए तेनुं वर्णन आ शास्त्रमा छे. तेनी भाषा राजस्थानी छे. आ लघुकृतिनी रचना राजस्थानना रिणि गाममां थइ छ. बीकानेर प्रांतना सरदारशहर पारो राजगढ़ स्टेशनथी ४१ माइल दूर रिणिगाम छे.
ते रिणी तारागर नामे प्रसिद्ध छे. गाममा शिखरबद्ध देरासर छे. मूळनायक श्रीशीतलनाथजी १००० वर्ष प्राचीन छे. प्रतिमा पर सं. ११५८ नो लेख छे. ६० वर्ष पहेला अहीं जैनोना चार धर हतां, देरासरनो वहीवाट यति श्री पनालालजी संभाळता हता. उपा. श्रीसमयसुंदरजीए अहीं चोमासुं कर्यु छ तेथी पूर्वे अहीं घणां घर हशे तेवू अनुमन थइ शके.
उप. श्री रामयसुंदरजी से विदग्ध विद्वान हता. तेमणे अनेक शास्त्रोनी रचना करी छे. तेमनो परिचय अने तेमनी रचनाओ विषे महो. विनयसागरजी म.नो लेख वांचवा भलागण छे.
आ लेखमां गनी रचनाओमां 'यतिअंतिमआराधना नुं नाम नथी तेथी आ कृति अप्रगट छे एम् कही शकाय. महो. समयसुंदरजीन! गीतो माटे राजरथानमां उक्ति प्रचलित हती
'राणा कुंभारा भीतडा और समयसुंदररा गीतडा'
महाराणा कुंभाराए राजस्थानने गोगलोना आक्रमणथी बचाववा किल्लाओ बनाव्या हता, तेनी भीतो अभेद्य हती, अने एथी ज आ उक्ति आखा राजस्थानमा प्रचलित हती. तेनी जेम ज महो. समयसुंदरजीना गीतो पण घेर-घेर गवातां.
प्रस्तुत कृतिमा उपा. श्रीसमयसुंदरजीए साधुभगवंतने अंतिमसमये करवानी आराधनानुं वर्णन कार्यु छे. साधुजीवनमां वडीदीक्षा अने पदवी जेटलां महत्त्वना छे तेटली ज महत्वनी अंतिम आराधना छे.
भगवाननी प्रतिष्ठा माटे श्रेष्ठ मुहूर्त जोवाय छे. वड़ीदीक्षा पदवी माटे श्रेष्ठ मुहूर्त जोवामां आवे छे तेम अंतिम आराधना माटे पण श्रेष्ठ मुहूर्त पसंद करवामां आवे छे. प्रतिष्ठा, वडीदीक्षा अने पदवी श्रेष्ठ गुरुनी निश्रामां करवामां आवे छे तेम
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