Book Title: Shrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 62
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra SHRUTSAGAR www.kobatirth.org JULY 2014 अंतिम आराधना माटे श्रेष्ठ गुरुनी निश्रा अपेक्षित छे. उपा. श्रीसमयसुंदरजीए आ यात उपर भार मूक्यो छे. साधुओनी अंतिम आराधनाना छ प्रकार कह्यां छे. एटले के भरण पूर्वे समाधि इच्छता साधुए छ काम अवश्य करवानां छे. उत्तराध्ययनसूत्रमां कह्युं छे सोहि उज्जुअभूयस्स, धम्मो सुद्धस्स चिठ्ठइ | — 60 Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जे शुद्ध छे ते ज धर्मनो अधिकारी छे. अंतिम समये समाधि ते ज राखी शके जेनो आत्मा शुद्ध होय छे. आत्मशुद्धिना छ पगथियां छे. तेने ज अंतिम आराधना कहे छे. अंतिम आराधनाथी आत्मा शुद्ध थाय छे. आत्मशुद्धिशी समाधि मळे छे. ते छ अधिकार आ प्रमाणे छे - १) सम्यकत्वनी शुद्धि. २) अढार पापस्थानकनो त्याग. ३) चोराशीलाख जीवयोनिनी क्षमापना . ४) संयमनी विराधनानुं मिच्छामि दुक्कडं. ५) दुष्कृतनी गर्हा. ६) सुकृतनी अनुमोदना . अंतिम आराधनाने स्वीकार करवानो विधि आ प्रमाणे बताव्यो छे. सारा मुहूर्तमां भोजन करी लीधा पछी शरीरने पवित्र करं. एटले शरीरथी बाधाओ टाळी देवी. चतुर्विध संघने बोलाववो. सामे भगवाननी प्रतिमा स्थापवी. इरियावहियं करवी चैत्यवंदन करतुं मुहपत्तिनुं पडिलेहण करवुं, वे यांदणा आपवा अने गुरुने आराधना सूत्र संभळाववानी विनंति करवी त्यारपछी गुरु छ अधिकारने विस्तारथी स्भळावे. १) सम्यकत्वनी शुद्धि: सम्यक्त्व मोक्षसाधनानो पायो छे. सद्गतिनुं कारण छे. एथी सर्वप्रथम तेनी शुद्धि करवामां आवे छे. अरिहंत मारा देव छे. सुसाधु मारा गुरु छे. भगवाने कहेलुं तत्त्व ज सत्य छे. आ वातने याद करी सम्यक्त्वनी शुद्धि करवी. २) अढार पापस्थानकनो त्याग : अढार पापस्थानकनुं विस्तारथी वर्णन करीने, विशेषरूपे तेनो ज्याग करवाथी प्रेरणा गुरु करे छे. For Private and Personal Use Only ३) चोराशीलाख जीवयोनिनी क्षमापना : त्रीजा अधिकारमां चोराशीलाख जीवयोनिना भेद अने तेनी १० प्रकारे थयेली विराधनानुं मिथ्यादुष्कृत गुरु करावे छे. १० प्रकारनी विराधना इरियावहियं सूत्रमां दर्शावी छे.

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