Book Title: Shrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org यतः श्रुतसागर 21 जिम मयगल वनवासीओ, करतो केलि उल्हासो रे । तेह अजाडी" महिं पड्यो, तिम कुंयर घरवासो रे ।।८८ ।। Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir जिभ ईच्छाचारी हरिणलो, पड्यो पारधी पासो रे । झूर अहनिसि वापडो, तिम कुंयर घरवासो रे । ८९ ।। एक दिन बईठो राजसभा, पूरी राय सुजाणो रे । सुधन सारथवाद आवीओ, भेटि करई बहुदाणो रे जिम धीवर" सालई पड्यो, पाभई माछि (छ) लो त्रासो रे । जिम पंखी पंजरि पड्यो, तिम कुंयर घरवासो रे ।।१०।। राय भाई सास्थपती, कहो को अपूरव वातो रे । तुम्हो थया देखाउरी, जाणो बहु अवदातो रे । ९२ ।। जुलाई २०१४ कुमर वइंरागई... कुमर वइंरागई... ।९१ ।। For Private and Personal Use Only दोय जीहा गय" वंकुडी तस रिपु स्वामी नारि । तिणी नारि जे परीहरया, भूला भमई संसारि ।। ९७ ।। कुमर वइंरागई.... ।। गाहा // दीसई विविवरियं, जाणिज्जई सज्जण दुज्जण विशेषो । अप्पाणं च कलिज्जई, हिंडिज्जई तेण पुहवीए || १३ || - कुमर वइंरागई... // चोपई ।। सारथपति कहई निसुणो राय, कांन तणो हवई को पसाय ! जो सांभलवानी छइं षांति", तो हुं पभणुं छंडी भ्रांति ||१४|| कुमर वइंरागई... गजपुर नाम नयर सुविचार, गढ मढ मंदिर पोलि उदार । जिहां जिनमंदिर अतिहिं उतंग, परदेसी मनि पामई रंग ।। ९५ ।। सेठ रयणसंचय विहां वसई, धनबलि जेह धनदनई हसइं । गरवंत नर गुंगा करइं, गरथ" विहूणो आंसू भर ||९६ ॥ ।

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