Book Title: Shrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 46
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 44 SHRUTSAGAR JULY - 2014 * इस लिपि में विपुल साहित्य लिखा हुआ मिलता है। आज भी हिंदुस्तान का शायद ही कोई ऐसा ग्रंथागार होगा जिसमें ग्रंथ-लिपिवद्ध पाण्डुलिपियों का संग्रह न हो। * इरा लिपि में निबद्ध ग्रंथ अमूल्य निधि के रूप में माने गये हैं, जो अपने संग्रहालय की शोभा में चार-चाँद लगा देते हैं। * इस लिपि में संस्कृत, कृत, पालि, अपभ्रंश आदि भाषागद्ध साहित्य को शतप्रतिशत शुद्ध लिखा जा सकता है। ग्रंथ लिपि की वर्णमाला : शिलाखण्डों, ताडपत्रों ताम्रपत्रों एवं लोहपत्रों आदि पर उत्कीर्ण इस लिपि में प्रयुक्त स्वर एवं व्यंजन वर्णों की संरचना निम्नवत है रवर वर्ण लेखन प्रक्रिया आ तृ | | 2|26 |3|883 ए । ऐ ओ | औ | अं | अः ள ஸ3 வன னெ ஔ त्यंजन तर्ण लेखन प्रक्रिया 018 621960 | एक L02023 6007 2 | ---- ------- 6600 6m 602 w lu | | | UU 0960 smo 5 612 For Private and Personal Use Only

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