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SHRUTSAGAR
JULY - 2014 * इस लिपि में विपुल साहित्य लिखा हुआ मिलता है। आज भी हिंदुस्तान का
शायद ही कोई ऐसा ग्रंथागार होगा जिसमें ग्रंथ-लिपिवद्ध पाण्डुलिपियों का संग्रह न हो। * इरा लिपि में निबद्ध ग्रंथ अमूल्य निधि के रूप में माने गये हैं, जो अपने
संग्रहालय की शोभा में चार-चाँद लगा देते हैं। * इस लिपि में संस्कृत, कृत, पालि, अपभ्रंश आदि भाषागद्ध साहित्य को
शतप्रतिशत शुद्ध लिखा जा सकता है। ग्रंथ लिपि की वर्णमाला :
शिलाखण्डों, ताडपत्रों ताम्रपत्रों एवं लोहपत्रों आदि पर उत्कीर्ण इस लिपि में प्रयुक्त स्वर एवं व्यंजन वर्णों की संरचना निम्नवत है
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