Book Title: Shrutsagar 2014 07 Volume 01 02
Author(s): Kanubhai L Shah
Publisher: Acharya Kailassagarsuri Gyanmandir Koba

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Page 16
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir SHRUTSAGAA 14 JULY - 2014 हवई ते पृथिवीचंद्रकुमार, कवण गामि ठामि अवतार । तेहनो तात कवण ते राय, राणी-कवण ते तेहनी गाय ।।१३।। कवण परिं वइंरागी थयो, संयम पाली मुगतिं गयो। सील बलिं केवल श्रीवरी, निसुणो भावि तेहनुं चरी ।।१४।। सुविनीतानगरीमुं नाम, ठाम अछइं ते अतिअभिराम | राज्य करइं राजा हरिसींह, न्यायवंत माहिं तस लीह ।।१५।। तस घरि राणी पद्मावती, स्त्रीलक्षणलक्षितगुणवती। नमणी-खगणी संशविशुद्ध, करि घणु ही परि गुणवंत मुद्ध ।।१६।। जे स्त्रीनइ गुह्य दक्षणभागि, दीसई तिलक कुंकुमनइ रागि। ते राजानी राणी थाय, अथवा पुत्र जणइं ते राय ।।१७।। मसो जेहनइं अतिरातडो, नासाग्रइं होई परगडो। ते पटराणी थाई सही, अथवा रायमाय ते कही ।।१८।। जे स्त्रीनइ जिमणइं स्तनिसार, रक्ततिलक लांछन अधिकार। तेहनइं कन्या होइं च्यार, ते प्रसवई वली अणि कुमार ।।१९।। जे नारिनई डालई कांनिं, हाथे कठि मसानई वानि । मसो तथा तिलक जो हुंति, पहिलई गर्भि से पुत्र प्रराति ।।२०।। इत्यादिक लक्षण गुणवती, राणी छइं से पद्मावती। रायराणी विलसइ ते भोग, पंचविषयसुख तणो योग ।।२१।। अनुक्रमि जायु पुत्र उदार, नामइं पृथिवीचंद्रकुमार। क्रमि क्रमि वाधई जिम ते बाल, तिम तिम महोच्छर करइ भूपाल ।।२१।। बालपणइं ते बुधे आगलो, विद्या चउद भण्यो गुणनिलो । सिलोक सुभाषित जाणइं सहु, धर्म तेणइं रसि रातो बहुं ।।२३।। ढाल। एक दिन बइंठो यौवनवय ते गोखंडई रे, जोइ जगह सरुप। तीणइं अवसरि तिहां साधु एक देखी करी रे, देखई पूरवभव भूप 1॥२४ ।। सील सोहामणो रे.. For Private and Personal Use Only

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