Book Title: Shripal Charitra Author(s): Kashinath Jain Publisher: Jain Shwetambar Panchyati Mandir Calcutta View full book textPage 8
________________ श्रीपाल - चरित्र पहला परिच्छेद पुत्र-वियोग अंगदेश में चम्पापुरी नामक एक नगरी थी। उसमें सिंहरथ नामक राजा राज करते थे। उनकी रानी का नाम कमलप्रभा था। कमलप्रभा कोंकण देश के राजा की बहिन थी । राजा सिंहरथ की अवस्था बहुत बड़ी हो जाने पर भी वह सन्तान सुख से बंचित थे। इसके लिये वह सदैव चिन्तित रहते थे। मन में सोचा करते, कि मेरे बाद यह सब राज-पाट कौन सम्हालेगा? सन्तान प्राप्ति के लिये वह अनेक प्रकार की मनौती मानते और दान-पुण्य करते । अन्त में जिस प्रकार विद्या विवेक को जन्म देती है, उसी प्रकार रानी कमलप्रभा ने तेजस्वी पुत्र को जन्म दिया। राजा को इसके लिये बधाई दी गई। उनके आनन्द का पारा वार न रहा । समूचे नगर में उत्सव मनाया जाने लगा। सभी लोग हर्ष तरंगो से आन्दोलित हो उठे । घर-घर बन्दनवार बाँधे गये । सारा नगर ध्वजा पताकाओं से सजाया गया। अग्रगण्य निवासी राजा की सेवा में उपस्थित हो, उन्हें बधाई देने लगे। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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