Book Title: Sharavkachar Sangraha Part 3
Author(s): Hiralal Shastri
Publisher: Jain Sanskruti Samrakshak Sangh Solapur

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Page 20
________________ १२५ १२६ १२७ १२८ १२९ १३३ r r mr 2 m १३८ १३९ १४२ विषय-सूची देशविरति गुणवतका स्वरूप निरूपण देशविरति गणव्रतके अतिचारोंका वर्णन अनर्थदण्डविरति गणव्रतका निरूपण अनर्थदण्डविरतिके अतिचारोंका वर्णन सामायिक शिक्षाव्रतका विस्तृत निरूपण सामायिक शिक्षाव्रतके अतिचार प्रोषधोपवास शिक्षाव्रतका स्वरूप प्रोषधोपवास शिक्षाव्रतके अतिचार भोगोपभोग परिमाण शिक्षाव्रतका स्वरूप और उसके अतिचार अतिथिसंविभाग शिक्षाव्रतका स्वरूप अतिथिसंविभाग शिक्षाव्रतके अतिचार संल्लेखनाका विधान और उसके अतिचारोंका निरूपण सामायिक प्रतिमाका स्वरूप वर्णन प्रोषध प्रतिमाका स्वरूप वर्णन सचित्त त्याग प्रतिमाका स्वरूप निरूपण रात्रि भक्त परित्याग प्रतिमाका स्वरूप निरूपण ब्रह्मचर्य प्रतिमाका स्वरूप निरूपण आरंभ त्याग प्रतिमाका स्वरूप निरूपण परिग्रह त्याग प्रतिमाका स्वरूप निरूपण अनुमतित्याग प्रतिमाका स्वरूप निरूपण उद्दिष्ट भोजन त्याग प्रतिमाके दोनों भेदोंका स्वरूप निरूपण ग्यारहवीं प्रतिमावाले वानप्रस्थ आदिका स्वरूप निरूपण अनशन आदि बारह तपोंका निरूपण १६. उमास्वामि-श्रावकाचार पूर्वाचार्य-प्रणीत श्रावकाचारोंके अनुसार श्रावकाचार-निरूपणका निर्देश धर्मका स्वरूप, सम्यक्त्व और सत्यार्थ देव, गुरुका निरूपण सम्यक्त्वके भेद और उसके माहात्म्यका निरूपण सम्यक्त्वके आठ अंगोंका निरूपण सम्यक्त्वके संवेग, निर्वेद आदि आठ गुणोंका वर्णन सम्यक्त्वके २५ दोषोंका वर्णन तथा उसके निर्दोष पालनका माहात्म्य श्रावकको देवपूजादि षड् आवश्यकोंके करनेका उपदेश विभिन्न परिमाण वाली प्रतिमाओंके पूजन करनेके फलका निरूपण शिल्पशास्त्रोक्त लक्षणवाली प्रतिमाकी तथा अतिशयवाली ___व्यंगित प्रतिमा की पूज्यता का वर्णन शिरोहीन प्रतिमाको पूजनेका निषेध विभिन्न दिशाओंमें मुख करके पूजन करनेके फलका वर्णन १४३ १४३ १४४ १४५ १४८ १५२-१९१ १५२ १५२ १५३ १५५ १५८ ४० १६१ १६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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