Book Title: Sanskrit Sopanam Part 02
Author(s): Surendra Gambhir
Publisher: Pitambar Publishing Company

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Page 32
________________ अहम् रवये जलम् अयच्छम्। अहम् तस्य अतिथिः आसम्। आवाम् रवये जलम् अयच्छाव। आवाम् तस्य अतिथी आस्व। आवाम् सहोदरौ स्वः। हयः आवाम् राष्ट्रपतेः भवनम् अगच्छाव। तत्र आवाम् राष्ट्रपतिम् अपि अपश्याव। भवनस्य समीपे एव एकम् सुन्दरम् उद्यानमपि अस्ति। आवाम् तत् अपि अपश्याव, प्रसन्नौ च अभवाव। Fbrovr.adionitosg) शब्दार्थाः अग्निः आग (fire) गिरिः डा पर्वत (mountain) मुनिः ___मुनि (sage) क्रुध् (क्रुध्य) = क्रोध करना (to get angry) अरिः = शत्रु (enemy) आस्व (हम दो) थे (we two) were रविः सूर्य (sun) त जिन अतिथि: मेहमान (guest) सहोदरः 1 = सगा भाई (real brother) राष्ट्रपतिः राष्ट्रपति (president) समीप = पास (near) Disi नया धातु (New verb-root)- क्रुध् (2) नए रूप (New Nouns)- अग्नि, गिरि, मुनि, अरि, रवि, अतिथि, राष्ट्रपति-मुनि के समान (like मुनि) नया अव्यय (New avyaya)- समीपे उपपद-विभक्तिः- क्रुध् धातु के साथ, जिस पर क्रोध किया जाए, उसके वाचक शब्द में चतुर्थी विभक्ति (When क्रुध् is used, the word for the person you feel angry at, gets the fourth vibhakti).

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