Book Title: Sanskrit Sopanam Part 02
Author(s): Surendra Gambhir
Publisher: Pitambar Publishing Company

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Page 38
________________ अधि + गम् (गच्छ्) धनम् उत् + पत् आकाशः अस्तु स्थपतिः = = " ॥ ॥ मालाकारः पृच्छतु। क शब्दार्थाः प्राप्त करना धन उड़ना आसमान (वह) हो राज (मकान बनाने वाला) उपसर्ग युक्त धातुएँ (Verb-roots with prefixes) - अधि + गम् (गच्छ्), उत् + पत् yala newed biode meSt नया अव्यय (New avyaya) परम् उपपद विभक्तिः- प्रच्छ् धातु द्विकर्मक है। जिससे पूछें और जो कुछ पूछें, दोनों के वाचक शब्द द्वितीया विभक्ति में होते हैं। (When प्रच्छ् is used, two words get the second vibhakti-word for whom you ask, and word for what you askill on Jon Drb uoy vsb 150041 T bien ar भूमिष जनताम (to get) (money) (to fly) प्रचि में ि अभ्यासः (sky) (hel shel that) be (mason) मौखिकम् 1. उत् + पत् तथा अधि+ गम् धातुओं के लट् लकार तथा लोट् लकार में रूप लिखिए (Conjugate) उत् + गम् and अधि + गम् in लट् and लोट्). 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (Fill in the blanks)— खगः आकाशे ....। भक्तः देवम् 'गुम्फतु। आचार्यः' 31 भवनम् रचयतु । 'कथयतु। छात्रः

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