Book Title: Sanskrit Sahitya ka Itihas
Author(s): Hansraj Agrawal, Lakshman Swarup
Publisher: Rajhans Prakashan

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Page 7
________________ संस्कृत साहित्य का इतिहास लेने में असमर्थ हो रहेंगे। किमी जाति का साहित्य उसकी रूढि-परम्परा की, परिवेष्टनों की, भौगोलिक स्थितियों की, जलवायु से सम्बद्ध अवस्थाओं की और राजनैतिक संस्थाओं की संयुक्त प्रसूति होता है। अतः किमी जाति के साहित्य को ठीक-ठीक ब्याख्या करना किसी भी विदेशो के लिए दुस्साध्य कार्य है। अब समय है कि स्वयं भारतीय अपने साहित्य के इतिहास-ग्रन्थ लिखते और उसके (अर्थात् साहित्य के अन्दर छुपी हुई श्रात्मा के स्वरूप का दर्शन स्वयं कराते । यही एक कारण है कि मैं श्रीयुत हसराज अग्रवाल एम० ए० द्वारा लिखित संस्कृत साहित्य के इस इतिहास का स्वागत करता हूँ। श्रीयुत अग्रवाल एक यशस्वी विद्वान् है। उसने फुल्ला छात्रवृत्ति प्राप्त की थी और उसे विश्वविद्यालय के स्वर्ण पदकों से सम्मानित होने का सौभाग्य प्राप्त है । यह आते हुए समय की शुभ सूचना है कि भारतीयों ने अपने साहित्य के इतिहास में अभिरूचि दिखलानी प्रारम्भ कर दी है। मेरा विचार है कि संस्कृत साहित्य का इतिहास लिखने वाले बहुत थोड़े भारतीय हैं, और पञ्जाब में तो श्रीयुत अग्रवाल से पहला कोई है ही नहीं । इन दिनों बी० ए० के छात्रों की आवश्यकता पूर्ण करने वाला, और संस्कृत साहित्य के अध्ययन में उनकी सहायता करने वाला कोई ग्रन्थ नहीं है, क्योंकि संस्कृत के उपलभ्यमान इतिहास बन्यों में से अधिक ग्रन्थ उनकी योग्यता से बाहर के हैं। यह ग्रन्थ बी० ए० श्रेणी के ही छात्रों की आवश्यकता को पूर्ण करने के विशेष प्रयोजन से लिखा गया हैं। लेखक ने बड़ा परिश्रम करके यह इतिहास लिखा है और मुझे विश्वास है कि यह जिनके लिये लिखा गया है उनकी श्रावश्यकताओं को बड़ी अच्छी तरह पूर्ण करेगा। लक्ष्मण स्वरूप ( एम० ए०, डी० फिल०, आफिसर डी एकेडमी)

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