Book Title: Sanskrit Prachin Stavan Sandoh Author(s): Vishalvijay Publisher: Vijaydharmsuri Jain Granthmala View full book textPage 8
________________ सुभाषित-पद्य-रत्नाकर भाग १-२-३ जुदा जुदा सेंकडो विषयोना हजारो श्लोकोनो संग्रह, गुजराती अनुवाद साथे, ए श्लोकोनां स्थानो साथे, आ संग्रहमां आपवामां आवेल छे. अत्यार सुधीमां नीकळेलां अनेक सुभाषित संग्रहोमां विद्वानोए आनु स्थान सौथी पहेलु मूक्युं छे. उपदेशकोने माटे तो अत्यन्त ज उपयोगी. वर्षा सुधी व्याख्यानो करवां होय तो बोनुं पुस्तक हाथमां लेवानी जरूर न पडे. आने जोनारा जोई शकशे के केटला परिश्रम पूर्वक आना संपादक अने अनुवादक मुनिराज श्री विशालविजयजीए आ भागो तैयार कर्या छे. उंचा ग्लेझ कागळो, चारसो चारसो पानानो एक एक भाग, पाकुं कपडानुं बाइन्डिंग, उत्तम छपाइ अने दरेक रीते सुंदर होवा छतां किंमत दरेक भागनी मात्र सवा सवा रूपियो छे. चोथो भाग पण बहु ज जलदी बहार पडशे. पांचमो भाग बहार पड़ी चूक्यो छे. लखो मंत्री श्री विजयधर्मसूरि जैन ग्रंथमाला छोटा सराफा, उज्जैन. (मालवा)Page Navigation
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