Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti View full book textPage 9
________________ ६. समिति तरफ जे सूचनाओ आवी हती तेमा केटलीक कायदो करवानी विरुद्धनी अने केटलीक कायदो करवानी तरफेणनी हती. सूचनाओनो प्रकार. कायदो करवानी विरुद्धनी सूचनाओमा मुख्य दलील ए बताववामां आवी हती के दीक्षाथी कई अनर्थ थतो नथी, सगीरोने नसाडी भगाडी लई जई दीक्षा आपवान कहेवामां आवे छे ते खाटुं छे. दीक्षानो प्रतिबंध करवानो कायदो करवानी कंई जरूर नथी अने ते सरकारथी थई शके पण नहीं. जो ते करवामां आवशे तो साधुसंस्थानो नाश थई धर्मने घणी हानि थशे. कायदो करवानी तरफेणनी सूचनाओ एवी मतलबनी हती के कुमळी वयनां बाळकोने माबापनी अने परणेतरनी संमति वगर दीक्षा आपी देवानो प्रकार बने छे तेथी घणु अनिष्ट थाय छे अने ते अटकाववाने कायदो थवानी जरुर छे. कायदो करवानी विरुद्धता के तरफेशनी बधी सूचनाओ जैनधर्मना अनुयायी तरफथी आवी हती. हिंदु, मुस्लीम विगेरे बीजा धर्मना अनुयायीओ तरफथी कायदाना लाभभां के विरुद्धमा कंई पण सूचना आवी नहोती. आ उपरथी एवं अनुमान थई शके छ के श्रीमंत सरकारे करवा धारेला कायदाना संबंधमां जैन शिवाय बीजा कोई धर्मवाळानो विरोध नथी. ७. समिति तरफ आवेली केटलीक सूचनाओना संबंधमा विशेष खुलासो करी विशेष खुलासो करी लीधो. न लेवानी जरूर जणायायी समितिने योग्य जणायुं ते - प्रमाणे एकंदर २५ इसमोने समितिए पोतानी रुबरु बोलावी जुबानी तरीके हकीकत पुछी लीधी हती. आ उपरांत वडोदरा कॉलेजना संस्कृतना प्रोफेसर गोविंदलाल भट एम. ए., तथा वडोदरा ओरिएन्टल इस्टीटयुटना डायरेक्टर डॉक्टर बिनयतोष भट्टाचार्य एम. ए., पीएच. डी. पासेथी हिन्दु तथा जैन शास्त्रमांना संन्यास दीक्षा संबंधी फरमाननी नोंध करावी लेवामां आवी हती; तेम प्रमाण तरीके गणाता ग्रंथो पण जोवामां आव्या हता. ८. कायदो करवानी तरफेणमां तथा तेनी विरुद्धमा जे एकंदर हकीकत आवी हती ते विचारमा लेतां समिति जे निर्णय उपर आवी निवेदनमा समावेश करेली लेने आ निवेदन सादर करवामां आवे छे. प्राथमिक बाबतो. हकीकतना आ पहेला प्रकरण पछी बीजा प्रकरणमा आपणे त्यां प्रचलित मुख्य धर्मोमां संन्यास दीक्षा संबंधे शी रीते ठरेलुं छे ते टुंकामां दर्शाव्यु छे. दीक्षा आपवामां कंई अयोग्यपणुं थाय छे के केम तेनो विचार त्रीजा प्रकरणमां को छे, ते अटकाववा शुं करQ ते चोथा प्रकरणमां बतान्यु छ; अने कायदो करवानी जरूर छे के नहीं अने होय तो ते केवा प्रकारनो करवो जोईए अने प्रसिद्ध थयेला खरडामां केवो फेरफार करवानी आवश्यकता छ ए पांचमां प्रकरणमा दर्शाव्यु छे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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