Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
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जो हक पाछो मळे एम ठराववामां आवे तो पुख्त विचार कर्या वगर दीक्षा लेवा दोडी जवाना उतावळीया कामने उत्तेजन मळशे अने दीक्षा छोडी देवाना दाखला वधवानो अने तेथी दीक्षानुं महत्व घटयानो पण संभव रहेशे. दीक्षा छोडी पाछा घेर जईशु तोपण आपणो मिलकतनो हक्क आपणने मळवानो नथी एवी समज होय तोज दीक्षा लेवामां थतुं उतावळपणु अटके माटे आ सूचना अमे मान्य राखता नथी. परंतु दीक्षा गेरकायदेसर एटले के कायदामा ठरावेली उमरना अदरना इसमोने आपी होय अगर जेमनी संमतिनी आवश्यकता कायदामा राखी होय तेमनी समति वगर आपी होय तो तेवी दीक्षा परिशिष्ट १ ना खरडानी कलम ४ प्रमाणे मूळयीज निरर्थक अने रद्द बातल छे अने तेथी मिलकतना हक उपर एवी गेरकायदे दीक्षाथी कांई असर थती नथी अर्थात् एवो हक्क मूळमांज कांई जतो नथी ए उघड छे. परंतु एवो इसम जो दुनियादारीमां पाछो आववा ईच्छतो होय तो पोतानो हक तेणे सामान्य कायदामां बतावेली मुदत अंदर स्थापित करावी लेवो जोईए. ७६. परिशिष्ट १ ना खरडानुं त्रीजुं प्रकरण शिक्षा माटे छे. ए प्रकरणमां
मात्र अयोग्य दीक्षाआपवाना गुन्हाने माटे शिक्षा ठरावी छे. फरियाद.
परंतु फरियादकोणे करवी, खानगी द्वेष के अदावतना लीधे खोटी फरियाद न थतां शुद्धबुद्धिथीज करवामां आवे तेने माटे शो बंदोबस्त राखको अने फरियाद करवानो प्रसंग आवे तो काम कोना आगळ चलायवु ए विषे विचार पई कलमो दाखल थयेली नथी. अमने लागे छे के आवा प्रकारना कायदामां ठरावेला गुन्हा बद्दल फरियाद कोईपण इसम करी शके पण एवा गुन्हा पोलिस अधिकारमा आववा न जोईए. निंबध विरूद्ध कांई गुन्हाईत कृत्य बन्युं होय तो तेने माटे फरियाद प्रथम फोजदारी न्यायाधिशी वर्ग १ आगळ थवी जोईए; अने तेमणे ते बाबत प्राथमिक तपास करी जो हकीकत खरी जणाय तो अधिकारवाळा पहेला वर्गना फोजदारी न्याया धीशे काम चलाववानी मंज़री आपवान धोरण कायदामां दाखल थयु जोईए. एवी मंजरी वगर फरियादगें काम न चालवू जोईए. सामान्य फोजदारी कायदा प्रमाणे मनुध्यहरण विगेरे गुन्हो बनतो होय तेने माटे उपर प्रमाणेनी विधिनी जरूर नयी पण जो दीक्षा निबंधमां ठरावेला गुन्हा बद्दलज फरियाद करवी होय तो तेने माटे उपर प्रमाणे विधि थवी जोईए, के जेथी खोटी फरियाद थवाना अने कोईने वगर कारणे हेरान करवानो प्रसंग बने नहीं. टुंकामां धी इंडियन चाइड मॅरेज रीस्ट्रेन्ट अॅक्ट (सन १९२९ नो १९ मो) मां गुन्हार्ने काम चलावया संबंधी जे धोरणो छे ते बनता लगी आ निबंधमां दाखल करवानो सुधारो करवो जोईए. ए निबंध प्रमाणेना गुन्हानो इन्साफ डिस्ट्रीक्ट मॅजीस्ट्रेट अगर प्रेसीडेन्सी मॅजीस्ट्रेट शिवाय बीजा कोईथी थई शकतो नथी. वळी गुन्हो बन्यानी तारीखयी एक वर्षनी अंदर फरियाद थई न होय तो काम चलावी शकातुं नयी. फरियादीनी जुबानी लीधा पछी अने आरोपी उपर आव्हानपत्र काढतां अगाउ न्यायाधिशीए फरियादी पासे रु. १०० रोकड अना
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