Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

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Page 60
________________ ६० दाखला अमारी समितिनी तपास चालतां पेहेलां तेम ते दरम्यान बनवा लाग्या छे ते बंध थशे नहीं ताजो दाखलो पाटणना कुसुमविजयना संबंधमां नवेंबर १९३२ मांज बनेलो छे अने तेने माटे वर्तमानपत्रोमा उहापोह चाली रह्यो छे. माटे सारासार विचार करतां सोळ वर्षथी कमी उमरना बाळको माटे कोई प्रकारनो अपवाद करवानी सूचना अमे योग्य धारता नथी, ७१. सोळ वर्ष तथा ते उपरनी उमरना शखस माटे पोतानी इच्छाथी दीक्षा लेवानी छूट रहे तो पछी तेमां माबापनी संमतिनो प्रश्न रहेतो नथी; सोळ वर्ष तथा ते उपरनी उमरना कारण के एवी संमति वगर पण पोतानी कायदेसर लायसखसो माटे दीक्षा लेवानी छूट, " कीने लीधे ते पोतानी मरजी प्रमाणे करी शके छे. परंतु जो के आवे प्रसंगे कायदा प्रमाणे माबापनी संमतिनी जरूर रहेती नथी तो पण नैतिक धोरणे रहे छे. जेमणे नानपणथो पाळी पोषीने मोटा कर्या तेमने तेमनी रजा वगर छोडीने चाल्या जq ए निंद्य छ; अने जे खरो धर्माचरणी होई दीक्षा लेवा धर्मलाभ माटेज इच्छतो होय तो ते पोताना माबापनी लागणीनी अवगणना करे नहीं पण तेमने समजावीने पण तेमनी अनुमति लेज; अने सुज्ञ मावाप पण पोताना ऐहिक स्वार्थनो विचार करवाने बदले पोताना पुत्र के पुत्रीना परलौकिक हितनो विचार करी घणु करीने संमति आपवानाज; पण कदाच न आपे तोपण सोळ वर्षनी उमरनो तेमनी संमति वगर पण दीक्षा लई शके. कदाच जेनी पासे दीक्षा लेवानी होय ते आचार्य, माबापनी संमति न होय तो दीक्षा न आपे तो ते तेना अधिकारनी अने मरजीनी वात छे.पण जो एवी संमति न होवा छतां पण जो दीक्षा आपत्री तेने योग्य जणाय तो तेम करवाने कायदानी कई मनाई न होवी जोईए. ७२. परंतु स्त्री के धणीनी संमतिनी आवश्यकता जुदाज कारणसर रहे छे. स्त्री . पोताना धणीनी संमात वगर अगर तेनाथी छेडोटको स्त्री के धणीनी संमतिनां "तना लीधा वगर तेने मुकीने चाली जई शकती नथी. तेम कारणो. धणी पण पोतानी स्त्रीनी संमति लीधा वगर अने तेना भरणपोषणने माटे बंदोबस्त कर्या वगर तेने छोडी दईने चाल्यो जई शकतो नथो. जो एम करे तो तेने मोटी हानि करे छे अने पोताना लग्ननी प्रतिज्ञा तोडे छे; माटे दीक्षा लेवानी इच्छा करनार पुरुष के स्त्रोए लग्न करेलं होय अने स्त्रो के धणी हयात होय तो पोतानी स्त्री के धणीनी संमति वगर दीक्षा लेवाने तेने प्रतिबंध करवो ए व्याजबी अने तेटला माटे जो के १६ वर्ष तथा ते उपरनी उमरनो सखस दीक्षा लेवा लायक गणाय छे तो पण जो तेनी स्त्री के धणीनी संमति न होय तो दीक्षा लेबानो तेने प्रतिबंध थाय एवी कलम कायदामा दाखल करवी जोईए. ७३. संघनी संमतिनी अपेक्षा कांई एवी नथी, के तेना वगर दीक्षा लई शकायज _ नहीं. वळी अमारी भलामण प्रमाणे कायदो थाय तो संघनी संमतिनी अपेक्षा न । होवा विषे. ' दीक्षामा अयोग्यपणुं यतुं अटकाववाने कायदानी कलमोज पुरती छे भने तेमां संघनी संमतिनो वधारो करवानी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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