Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

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Page 59
________________ वर्ष जेटली नहीं पण १६ वर्षथी कमी उमरनाने दीक्षा आपवानुं बंध करवामां आवे तेज योग्य थशे. बाळलग्न प्रतिबंधक निबंधमां पण शरूआतमां कमी उमर राखी लोको समजता थया पछी पाछळथी क्रमे क्रमे उमर वधारवामां आवी हती. एज प्रमाणे दीक्षाना काममा हाल तूर्त १६ वर्षनी उमर सुधी प्रतिबंध राखवामां आवे तो आगळ उपर लोकमत केळवाशे, ते प्रमाणे तेमां वधारो करी प्रतिबंधनी यत्ता १८ के तेथी वधारे उमर सुधी राखवान योग्य जणाशे तो ते बाबत घटीत तजवीज थई शकशे. माटे हाल तूर्तने माटे अमारो अभिप्राय एवो छे के कलम ३ एवी रीते सुधारवी के तेथी सोळ वर्षनी अंदरनी दीक्षानोज प्रतिबंध थाय. ७०. अमारा आगळ एक सूचना एवी करवामां आवी हतो के सरकारनो हेतु सोळ वर्षनी उमरना विशेष मात्र संमति वगरनी अने अयोग्य रीते छुपी रीते अपाती प्रकारनी बुद्धिवाळा बाळको माटे दीक्षाज बंध करवानो छे; बधी दीक्षा बंध करी नांखवानो अपवाद करवानी जरूर नथी. नथी. तेथी आ सामान्य धोरणने एक एवो अपवाद राखवो के, ८ थी उपर अने १६ थी कमी वयना कोई विशेष प्रकारनी बुद्धिवाळा बाळकने खरेखर पोतानी समज शक्तिथी खरेखरो वितराग आववाथी दीक्षा लेवानी तीव्र इच्छा थई होय अने तेमां तेना माबाप पण शुद्धबुद्धिथी मात्र तेना धार्मिक लाभने माटे सम्मत छे एवी प्रांत फोजदारी न्यायाधीश वर्ग १ ( सुबा ) अगर सरकार ठरावे एवा बीजा कोई अमलदारे करेली तपास उपरथी तेमनी खात्री थाय तो तेमनो दाखलो मेळवीने तेवी विशेष प्रकारनी व्यक्तिने दीक्षा लेवानी छूट आपवी; आवो अपवाद राखवाथी धर्मथी ठरेली उमरनी यत्तामा हाथ घालवामां आवे छे एम कहेवाने कोईने कई कारण रहेशे नहीं, तेम कोई बाळकने खरेखरो वितराग थयो हशे तो तेने अपवाद तरीके दीक्षा आपवानी छूट पण रहेशे, परंतु आ सूचना स्वीकारवी ए योग्य थाय एम अमने लागतुं नथी. अमे आगळ जणाव्युं छे तेम दीक्षा लेवानी उमरनी यत्तामा फेरफार करवाथी दीक्षा लेवाना शास्त्रनां सिद्धांतमां कंई फेरफार थतो नथी अने थतो होय तोपण देशकाळने अनुसरी ते करवो जोईए. कोई बाळक पोतानी इच्छा प्रमाणे गमे त्यां लग्न करवाने सोळ वर्ष पहेला लायक गणातुं नधो. तेम संसार छोडी दीक्षा लेवाना धर्म काममां पण १६ वर्ष पहेलां ते पोतानी ईच्छा प्रमाणे वर्ती शकतुं नयो. तेनी पोतानी संमति पुरती नथी तेथीज तेना माबाप के वालीनी संमतिनी अपेक्षा सोळ वर्षनी अंदरनां बाळको माटे शास्त्रमा पण राखेली छे. माबाप के वाली समति आपता होय तोपण ते केवळ शुद्धबुद्धिथी बाळकना हितने माटे आपे छे के केम ते बाळक पोते पण आवे प्रसंगे पोताना कृत्यनुं परिणाम पोताना सांसारिक हक्क उपर के थशे ते बरोबर समजीने तथा संसार उपर खरेखरी रीते भाव उठी जवाने लीधे आवे छे के केम ए नक्की करवू मुश्केल छे. वळी एवी छूट राखवाथी हालमा शिष्यलोभने लीधे नसाडवा, भगाडवाना, लालच आपवाना, दबाण कर्याना, टंटा थवाना, अने पाछळथी खरी हकीकत समजाय त्यारे बाळके पोते साधुनो वेष छोडी संसारमा पाछा आव्याना www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat

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