Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

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Page 73
________________ ६७ उद्देश. संन्यास दीक्षा नियामक निबंध. साधु संन्यासी, यति, योगी, विगेरे पोतपोताना धर्मना अनुयायीओने संन्यास दीक्षा आपे छे. तेमां कोई कोईवार दीक्षा एटले शु ए समजे नहीं एयां कुमळी वयनां बाळकोने पण दीक्षा आपवामां आवे छे अने कोई कोईवार एवी दीक्षा तेमना वालोनी संमति लीधा वगर अने उमेदवार लायक होय अने विवाहित होय त्यारे तेनी स्त्रीनी अगर पतिनी संमति वगर दीक्षा आपे छे अने तेथी कलह, झगडा, टंटा, फिसाद, फरियादो विगेरे थाय छे ते अटकाववा आ बाबतमां कायदाथी नियमन करवू इष्ट जणायाथी श्रीमंत सरकार महाराज सयाजीराव गायकवाड, सेनाखासखेल समशेर बहादूर, जी. सी. एस् आय., जी. सी. आय. ई., फरजंदे-खास-ई-दौलते-इंग्लिशिया एमणे नीचे मुजब ठराव्युं छे: प्रकरण १ लु. प्राथमिक. १. (१) आ निबंधने “ संन्यास दोक्षा नियामक निबंध " कहेवो. संज्ञा. (२) आ निबंध तारीख माहे सन थी अमलमा आवशे. शरूवात. २. पूर्वापर संबंध उपरथी बाध आवतो न होय तो व्याख्या. (१) " अज्ञान " एटले जेनी उमरनां १६ वर्ष पूरां थयां न होय एवो सखस समजबो; (२)" नोंधणी कामदार " एटले दस्तावेज नांधणी संबंधी निबंध अन्वये दस्तावेजो नोंधवा माटे निमायलो नोंधणी कामदार; (३)" सज्ञान " एटले जे सखस अज्ञान न होय ते समजबो; (४)" संन्यास दीक्षा " एटले कोईपण धर्मना (१) संन्यासी, (२) यति, (३) आचार्य, विगेरे लोको, कोई सखसने (क) मंत्र आपवानी, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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