Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

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Page 74
________________ (ख) मुंडवानी, ( ग ) कफनी ओराढवानी अगर (घ) एवीज बीजी पवी नहीं. शिष्य, चेलो के साधु बनाववानी क्रिया करीने पोताना वर्गमां दाखल करे के जेना परिणामे ते सखसे संसारनो त्याग करेलो गणाय तेवी कोई क्रिया समजवी. प्रकरण २ जुं. संन्यासदीक्षानुं नियमन. ३. कोईपण अज्ञान सखसने संन्यास दीक्षा आप। शकाशे नहीं. अज्ञानने संन्यास दीक्षा आ ४. (१) (क) जे सज्ञान सखसनी संन्यास दीक्षा लेवानी इच्छा हशे तेणे ते बाबत नमूना अंक १ प्रमाणेनो लेख करवो जोईए; ( ख ) ते जो विवाहित होय तो संन्यास दीक्षा लेनारे लेख करवा विषे. ६८ प्रसंग. परिणाम. दीक्षाना लेख उपर कया सखसोनी सही होवी जोईए. ( १ ) तेनी पत्नीनी संमति शिवाय, अने ( २ ) पत्नीना अने छोकरांना व्यवस्था कर्या शिवाय (२) (अ) पेटाकलम (१) प्रमाणेना लेख उपर ते संन्यास दीक्षा लई शकशे नहीं. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ( क ) तेनी सही होवी जोईए तथा (ख) (१) माता पितानी अगर तेमना पैकी जे हयात होय तेनी अगर न्यातना बे आगेवाननी अने साख होवी जोईए; ( आ ) पत्नी अज्ञान होय तो तेनी वती ( १ ) तेना पिताए अने भरणपोषणनी (२) ते उपरांत, ते विवाहित होय तो तेनी पत्नीनी ( २ ) पिताना अभावे तेनी माताए अने ( ३ ) तेना अभावे कोई नजिकना बे सगांए साख करवी. www.umaragyanbhandar.com

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