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संन्यासदीक्षा प्रतिबंधक निबंध,
हेतुओ अने कारणो. तारीख १९-१२-१९२९ नी धारासभानी बेठकमा रा. लल्लुभाई किशोरभाईए
नीचेनो ठराव आण्यो हतो:हालनो मुसद्दो तैयार करवानी जरूरियात. धारासभामांना रा. लल्लुभाईनो ठराव.
" नाहनी उमरमां माणसोने दीक्षा आपी त्यागी बनाववामां आवे छे. तेथी
कुमळी वयना अने काची बुद्धिनां माणसो समज वगर दीक्षा ले छे अने त्यागी बने छे, तेथी घणा प्रसंगे अनर्थ थाय छे. माटे जेनी उमरना २१ वर्ष पूरां थयां न होय तेवा कोईपण माणस, स्त्री अगर पुरुषने संसार त्यागनी दीक्षा आपी शकाय नहीं तथा जेनी उमरना २१ वर्ष पूरां थयां होय पण ३० वर्ष पूरा थयां न होय तेवा माणसने प्रांत फोजदारी न्यायाधिशीनी परवानगी मेळव्या शिवाय संसारत्याग करवानी दीक्षा आपी शकाय नहीं एवं धोरण ठराववा आ धारासभा श्रीमंत सरकारने विनंति करे छे."
आ ठरावना संबंधमां नेक नामदार अध्यक्ष साहेबे खुलासो को हतो के आ बाबतमां तपास करी आवा कायदेसर अंकुशनी जरूर छे के केम तेनो विचार कर. वामां आवशे. २. वळी केटलेक प्रसंगे कुमळी वयना जैन बाळकोने त्यागनी दीक्षा आपवामां
___ आवी साधु बनाववामां आवे छे अने तेथी ते पद्धत हुजूरश्रीनी ध्यानमा आवली शोचनीय होई बंध करवा पात्र छ एम श्रीमंत सरकारने हकीकत.
पण जणायुं छे.
३. आ उपरथी हालनो मुसद्दो तैयार करवामां आव्यो छे. सगीर वयना बाळकोने
दीक्षा आपवामां अनेक सांसारिक अडचणो अने अनर्थो मुसद्दो सामान्य स्वरुपनो छे..
'- समाएलां होय छे तेथी तेवी दीक्षा अपाती होय तेना उपर अंकुश मूकवा हालनो मुसद्दो करवामा आव्यो छे. हालनो मुसद्दो मात्र जैन साधुओ दीक्षा आपे छे तेनेज लागू थाय एवो करवामां आव्यो नथी. ते सामान्य स्वरुपनो करवामां आब्यो छे, एटले के कोईपण धर्मना साधु, संन्यासी, यति, योगी, वेरागी, फकीर विगेरे एवा माणसो पोताना धर्म अथवा पंथमा जीवन गाळवानो कोईपण माणसने मंत्र आपे, मुंडे चेलो करे विगेरे एवी कोई क्रिया के संस्कार करे के जेथी संसारनो त्याग थयो गणाय तेवी सर्व प्रकारनी दीक्षाने लागू थाय एवी रीतनो तैयार को छे. ( कलम २).
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