Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 48
________________ ५९. आठ वर्षथो नानो बाळक दीक्षा लई शके नहीं एम जैन धर्ममा ठराव्यु छे ते उपरथी एटलुंज निष्पन्न थाय छे के एथी वधारे बाळ दीक्षा मात्र अपवाद रूप बाद कप उमरनो बाळक जो बीजी रीते लायक होय तो दीक्षा हती. लई शके. हिंदु धर्ममां ब्रह्मचर्याश्रम, गृहस्थाश्रम, वानप्रस्थाश्रम अने ते पछी संन्यासाश्रमनी परापूर्वथी चालती आवती जनी पद्धति जैन धर्मनी पद्धति करतां सारी छे तोपण ए धर्ममां कोईने वहेलो वैराग्य आवे तो ब्रह्मचर्याश्रममाथीज संन्यास लई शके छे. परंतु आवा प्रसंगो क्वचितज अने ते पण शंक. राचार्य के हेमचंद्र जेवा प्रभावशाली अने विशेष प्रकारनी बुद्धि अने वैराग्यवाळा मात्र थोडानांज संबंधमां बनेला छे. सामान्य रीते घणाखरा तीर्थकरो, गणकरो, आचार्यो, साधुओ अने महात्माओए सगीर वयने ओळंगीने अने लग्न संस्थामां पसार थईने संन्यास लीधो हतो. श्रीहेमचंद्रसूरिकृत त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्रमा आधा घणा दाखला छे. पोते बाळपणमां दीक्षा लीधेलो छतां अने घणा विद्वान अने नामांकित थयेला छतां बाळदीक्षानी तेमणे हिमायत करी नथी. ब्रह्मचर्याश्रममांथी एकदम संन्यास आश्रममा जनारा हमेशा बहु विरलज होय छे. जैन दृष्टिए त्रीजो अने चोथो आरो सतयुग गणाय छे. ए सतयुगमां पण जे जे दीक्षितो थया छे तेमांनां घणाखरा लग्न संस्थामां पसार थया पछी दीक्षित थया छे. ब्रह्मचर्याश्रममांथी सीधा लग्नसंस्थामां आव्या वगर दीक्षित थयेला पुरुषो नेमीनाथ जेवा विरलज छे अने बाल दीक्षित तो एथीए वधारे विरलज छे. अयिमुत्ता जेवा कोईकज नीकळशे; चोथा आरा जेवा सतयुगना वखतमां पण ज्यारे बालदीक्षित कोईकज नीकळ्या छे त्यारे एथी ए स्पष्ट थाय छे के बाळदीक्षा ते वखतमां पण एक अपवाद रूप गणी शकाय एवा प्रकारनी हती. होल चालता पांचमा आरामां (कळ युगमा) तो ते बाळदीक्षा एथी पण वधारे मुश्केल गणाय ए सहेज समजी शकाय तेम छे. एम छतां शिष्य वधारवाना मोहने लीधे हालना कठण काळमां प्राचीन वखतना करतां वधारे प्रमाणमा नानी उमरनी दीक्षाओ केटलाक साधु महाराजो तरफयी, केटलाक धर्मघेला श्रावकोनी सहायथी अपाय छे अने ते पण घणीवार माबाप आदिनी संमतिनी अपेक्षा वगर अपाय छे. बाळके पोते हा पाडी होय तेनी कंई किंमत नथी, दीक्षानुं महत्व समजवा जेवी तेनामां समज होती नथी. पांच महानतो शु छे ए पण ते समजतो न होय एम छतां तेना उपर ते पाळवानो भार लादवो ए एक प्रकारचें भारे घातकीपणुं छे. बाळकने दीक्षा आपवा माटे तेना भोळपणनो, तेनी काची बुद्धिनो अने तेनी अज्ञानदशानो लाभ लेवामां बहु खोटुं थाय छे. खरी दीक्षा बहु आकरी छे अने ते जिंदगी पर्यंत पाळवानी होय छे. छोकराने निशाळे बेसाडवानो होय त्यारे आपणे जोवं पडे छे के तेनामां ग्रहणशक्ति आवीछे के नहीं. परणाववो होय त्यारे जोवु पडे छे के तेनां शरीर, मन, इंद्रीयो विगेरे विकास पाम्या छे के नहीं. निशाळे बेसवानी अने लग्न करवानी योग्यता करतां दीक्षा लेवानी योग्यता तो जरूर वधारे होवी जोईए. दीक्षा कांई एवी स्थूल वस्तु नथी के ते अमुक उमरे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96