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६६. प्रथम छेल्ली बाबत एटले के कायदो करवो के केम ए जोईए. परिच्छेद ५६ मा
बतावेल छे के हाल दीक्षा आपवामां जे खामीओ कायदो करवानी आवश्यकता.
". जणाय छे ते दूर करवानो कई बंदोबस्त सरकार दरम्यानगिरी वगर थई शके तेम नथी. हिंदुओने तो कंई पण करवानी परवाज नी, अने जोके जैनोए पोतानी दीक्षा संस्थामा सुधारो करवानो प्रश्न उठान्यो छे खरो पण तेमनामां तेथी बे पक्ष पडी गया के अने एबे पक्ष वच्चे पटलं बधं वैमनस्य उत्पन्न थयं छे के तेओ भेगा थई आपसआपसमां समजी पोतानी मेळे कई करी के एम लागतुं नथी. सरकार बच्चे नहीं पडे तो ज़ना विचारना अने नवा विचारना वच्चे जे विरोध जागी गयो छे ते बंध पडे एम नथी अने हाल वर्तमानपत्रद्वारा तेम इतर रीते जे झगडा चाली रह्या छे ते बंध थवानो कई पण संभव नथी. बाबत जो के धर्म संबंधी छे तोपण तेमां जे अयोग्य पद्धति चाले छे तेथी प्रजानी मानसिक, नैतिक अने आर्थिक उन्नति उपर खराब असर थाय छे. बाळलग्ननो प्रतिबंध करवानो सुधारो जे ते कोमना अने धर्मना लोको बाळलग्नथी थता गेरफायदा समजीने करवा धारत तो करी शकत, परंतु तेमनाथी ते थई शक्युं नहीं त्यारे सरकारने तेमां दरम्यानगिरी करवी पडी हती. आपणे अहीं शरुआतमां कन्यानी उमर बार वर्ष अने वरनी उमर सोळ वर्ष थतां पहेलां लग्न नहीं करवा ठराववामां आव्यु हतुं. ते वखते एटली कमी यत्ता सामे पण प्रजाना मोटा भाग तरफथी सख्त विरोध बताववामां आव्यो हतो. पण श्रीमंत सरकारे मक्कमपणु राखी प्रजाहित समजीने बाळलग्न प्रतिबंधक कायदो को तेथी लगभग तीस वर्षना समय पछी हवे वखत एवो आव्यो छे के सरकारे ठरावेली कन्यानी चौद अने वरनी उमर अढारनी सामे कांईपण विरोध बतावबामां आवतो नथी; एटलुज नहीं पण हवे चौदने बदले सोळ, अदार अने वीस वर्षनी कन्याओ अने अढारने बदले वीस के बावीस वर्षना छोकरा पोतानी स्वेच्छाथी अविवाहित रहे छे. एज प्रमाणे अमुक उमर सुधीनाने दीक्षा नहीं आपवानो कायदो सरकार करे तो कदाच केटलाक जूना विचारना लोकोने शरूआतमां ते सख्त लागशे अने सरकारे धर्मना काममां हाथ घाल्यों एवो ककळाट पण ते करशे तोपण जनसमाजना मोटा भागने ते व्याजबीज लागशे अने थोडाज वखतमां एवो समय पण आवशे के ज्यारे कायदानो कांईपण अमल करवानी जरूर न रहेतां बधा लोको पोतानी मेळेज ते प्रमाणे वर्तता थशे अने कायदो मात्र कागळ उपर रहेशे. पूर्व काळमां पण दीक्षाप्रणाली पर राजशासननां अंकुश मुकायानी हकीकत इतिहास उपरथी मळी आवे छे. इ. स. पूर्वे चोथा सैकामां कौटिल्यना समयमां दीक्षा संबंधी प्रश्न राज्यमां मोटी व्यग्रता उपजावी हती अने एटला माटे कौटिल्ये स्पष्टपणे राजाओने साधुदीक्षाना मामलामां दखलगिरी करवानी सलाह आपी हती. कौटिल्य कहे छे के प्रव्रज्यानी बाबतमा अनुचित आचरणनी तमाम रीतो दंडथी राजाए अटकाववी जोईए. केम के धर्म ज्यारे अधर्मथी घेराय छे, उपहत थाय छे, त्यारे जो बेदरकारी राखवामां आवे तो राजाने,
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