Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

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Page 55
________________ प्रतिष्ठित गणाता श्रीविजयनेमीसूरि, सागरानन्दसूरि भने मूळमां आपणा वडोदरा शहेरना रहीश श्री विजयवल्लभसूरिजी श्रीहंसविजयजी, श्रीकांतिविजय, विगेरेए पण १६ वर्ष पहेलां दीक्षा लीधी नहोती; छतां जैन समाजमा विद्वान, प्रतिभाशाली व्यक्तिओ तरीके ए बधा पूजाय छे. दीक्षा आपवामां उतावळ करवान कई कारण नथी, होय तो ते एटलुज के कोई छोकरो छोकरी घेरथी रिसाई त्यागी थवा आव्यो छे तेने तूर्त मुंडी नांखवामा नहीं आवे तो शान्त थतां पाछो जतो रहेशे अने फरी हाथ नहीं आवे. “ उपायतः कार्यपालनं " अने " भाव वृद्धिकरण " ए सूत्रो दीक्षा लेवा आवेलाने पण एकदम न आपतां कांई समय सुधी तेनी पासे दीक्षाना गुणोनो अभ्यास कराववाथी मुमुक्षुने खरेखर कांई नुकसान थतुं नथी पण उलट लाभ थाय छे. दीक्षा लेतां पहेलांनी अभ्यासनी अवस्था कांई ओछी पवित्र नथी. जे जैन दीक्षा लेवाने तत्पर थयो होय ते छ कायाना जीवोनी रक्षा करवा आतुर होवो जोईर. माटे पृथ्वी, पाणी, तेज, वायु, वनस्पति अने त्रस कायाना जीवोनी ते रक्षा करे तेवो अभ्यास तेने कराववो जोईए के दीक्षा लीधा पछी तेने ते बाबत सुगम थाय अने दीक्षा लीधा पछी ते पाळी शकशे के नहीं तेनी खात्री पण आ रीते थई शके. कहेवत छे के " सोळे सान" सोळ वर्ष पहेला साधारण रीते खरं खोटुं समजवानी पाकी समज आवती नथी. गुन्हाइत कृत्यने माटे ७ थी १२ घर्षनी उमरे एवां कृत्योनां परिणाम समजवानी समज होवानं कायदामां मान्य राखवा आवे एटला उपरथी दीक्षा लेवा जेवा संसार वैराग्यना काममां पण तेवी समज आवे एम कही शकाय नहीं. दीक्षा जेवा पवित्र कार्यने गुन्हाना कार्य साथे सरखाव एज उचित नथी. दीक्षा तो पोतानामां समज आवे त्यारे मात्र पोतानी संमतिथी-नहीं के मा बापनी संमतिथी-लीधी होय त्यारेज ते सफळ थवानो संभव रहे छे. माबाप के स्त्री विगेरेना अनुमोदननो (संमतिनो) प्रश्न दीक्षानो उमेदवार पोतानी समजथी दीक्षा लेवा तत्पर थाय त्यार पछोज उत्पन्न थाय छे. एवी समज साधारण रीते योग्य वय थया वगर आवती नथी अने समजणा थयेला मात्र पोतानी समजथी दीक्षा ले त्यारेज ते फतेहमंद निवडे छे. दीक्षा लीधेला पैकी एवाज आगळ तरी आवे छे; अने अज्ञानपणामां माबापनी शिखवणीथी के समतिथी दीक्षा लेनार कदाच नालायकी मेळवी घेर पाछा न आव्या होय तोपण घणुं करीने जे पट्टमा दाखल थया होय त्यांज पडी रही साधु संख्यामां नकामो वधारो करे छे. प्रकरण ५ मुं. कायदो. ६५. पाछला प्रकरणमा जे विवेचन करवामां आव्युं छे ते उपरथी एम नीकळे छे के संन्यास दीक्षा लेवानी बे बाबतोमां कंई बंदोबस्त बंदोबस्त करवानी बाबतो. ता. थवानी जरूर छेः (१) दीक्षा लेवानो कमीमां कमी उमर केटली जोईए ते अने (२) दीक्षा लेनारे दीक्षा लेतां पहेलां मावाप विगेरेनी संमति लेवी जोईए के केम ?त्रीजीवात जोवानी ए छे के ए बंदोबस्त माटे कायदो करवो के केम ? Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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