________________
शास्त्रमा राखेली नथी. तेथी जो ते नवीन दाखल करवामां आवे तो तेथी दीक्षा लेवान मुशिबत थशे अने परिणामे साधुवर्गनो लोपज थशे; कारण के सांसारिक मोह अने लालचने लीधे माबाप स्त्री विगेरे सगां संबंधी पोताना पुत्र, पुत्री के पतिने दीक्षा लई संसारमाथी नीकळी जवानी संमति आपेज नहीं अने तेथी दीक्षा लेवानुं अशक्यज थई जाय; वळी शास्त्रमा आठ अने ते उपरनी उमरनाने दीक्षा आपवानी जे छट राखेली छे तेमां दरम्यानगिरी करी खरडामा ठराव्या प्रमाणे १८ वर्ष सुधी दीक्षा अपायज नहीं एम ठराववामां आवे तो तेथी शास्त्रथी ठरेला सिद्धान्तमां पण फेरफार थाय अने तेवो फेरफार करवानो प्रजा के सरकार पैकी कोईने हक्क नथी. आ विरुद्ध सुधारापक्षनें कहेQ एबुं छे के दीक्षा लेवानी तथा आपवानी शास्त्रमा जे आज्ञा छे तेमा मात्र उमरनी लायकीमां वधारो करवाथी दीक्षा कांई बंध थती नथी पण उलट दीक्षा लेवाने माटे जे खरेखरा समजदार अने लायक होय अने दीक्षा लेवानी जेमनी पोतानी खरेखरी इच्छा होय तेज दीक्षा लेशे अने सारी रीते पाळशे तेथी दीक्षाना महत्वमां घटाडो थवाने बदले उलट वधारो थशे; अने हाल सगां संबंधीनी अनुमति वगर पण बाळवयनाने दीक्षा अपाय छे तेथी जे सांसारिक क्लेश, तकरारो, झगडा अने संताप थाय छे ते संमति लेवान शास्त्रमा फरजियात छे तेनु कायदायी पालन करवाथी आपोआप बंध थई जशे; माटे संमति मेळवधान अवश्य राखq जोईए अने संमति आपेली हती के नहीं ए बाबत पाछळथी कई तकरार पड़े नहीं एटला माटे विश्वसनीय गणाय एवो लेखी दाखलो रखावयानुं ठरावजोईए. ५८. अमारा आगळ आवेली तमाम दलीलोनो विचार करतां अमने एम लागे
_ छे के धर्म संबंधी बाबतोमा जे सुधारा करवा जेवा होय ते जे तेधर्मनाअनुयायीओ सुधारा करे छे ते इच्छवा जोग छे.
जे ते धर्मना अनुयायीओ तरफपीज थाय अने सरकारे
तेमां दरम्यानगिरी करवानो प्रसंग न आवे ए इच्छवा जोग छे. पण हालनी स्थिति जोतां हिन्दु के जैन धर्मना अनुयायीओ पोते थईने ए बाबत कांई बंदोबस्त करी शके एम लागतुं नथी.गेर रीते दीक्षा अपायाना प्रकार ज्यां ज्यां बन्या छे त्या त्यां गेररीते वर्तनार साधु प्रत्ये नापसंदगी बतावी तेने संघ तरफथी ठपको आपवामा आव्यो होत अथवा जो ते पोतानी गेररीत छोडी न दे तो तेनां कपडां लेई लई तेनो बहिष्कार करवामां आव्यो होत तो जे गेररीत हाल चाली रहो छे अने जेना दाखला अमारी समिति तरफथी तपास चालती हती ते दरम्यान पण बन्या छे (जेम के छाणीना छोकगनो) ते बनवा पामतज नहीं. अंदर अंदरना कुसंपने लीधे जैन संघ पहेला हतो (जुओ परिच्छेद ३३, ३४) तेवो मजबूत हवे रह्यो नथी पण उलट एवो निर्बळ थयेलो छे के पहेलांनी पेठे अयोग्य वर्तन करनार साधुओ उपर ते काई अंकूश राखी शकतो नथी एटलुंज नहीं पण जे थोडा श्रावको अने साधुओ तेम करवाने प्रयत्न करे छे तेमने धर्मविरोधी भ्रष्ट थयेला विगेरे दूषण आपी हेरान करवाने पण अचकातो नयी एम पण जोवामां आव्युं छे.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com