Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

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Page 45
________________ प्रसंगे कायदाना ए खरडानी स्हामे विरोध करता इन्डिया सरकारना होम मेंम्बर ऑनरेबल मि.जे.केरार एम बोल्या हता के जे उद्देशथी मि. सुखबीरसिंहनो खरडो रजू थयो छे ते उद्देश स्तुत्य छे परंतु तेनी कलमो अमलमां मुकतां धणी मुश्केलीओ उभी थाय तेम छे. वळी ए खरडानो विषय साधु फकीर वगेरे धार्मिक गणाती बाबतने लगतो होवाथी प्रजाना धार्मिक काममा सरकार दरम्यानगिरी करे छे एवी प्रजामां गेरसमजूत थवानो पण संभव रहे छे; सगीर उमरना बाळकोने मावापनी के वालोनी संमति वगर साधु अने फकीरो काढी जता हशे तो तेने माटे शिक्षा कराववा चालु कायदा प्रमाणे सगीरना बाप के वाली उपाय लई शके छे माटे आवो कायदो करवामां सामेल थवाने सरकार योग्य धारती नथी. परंतु आ जवाब कंई संतोषकारक गणी शकाय नहीं; कारण के तेमां धर्मनो कई प्रश्न नहोतो पण पोताना सगीर संताननें कोई हरण करी गयु छे एम जाण्या छतां जे माबाप उदासीन थईने बेसी रहे तेने शिक्षा करवानो प्रश्न हतो. ५५. फोजदारी निबंधनी कलम ३४९, ३४६ ( इंडियन पीनल कोड _ ३६१,३६२) प्रमाणे १४ वर्षथी ओछी उमरना छोकराने संन्यास दीक्षामा मात्र नसाध्या भगाड्यानो सवाल नथी. - अथवा १६ वर्षयी ओछी उमरनी छोकरीने तेना कायदेसर वालीना हवालामांथी ते वालीनी रजामंदी शिवाय जे सखस लई जाय अथवा फोसलावीने तेडी जाय तेवा मनुष्यहरणना गुन्हा माटे शासन ठरावेल छे. एटले जो मात्र नसाडी भगाडी के फोसलावी जवानोज प्रसंग होय तो तेने माटे बीजा कंई विशेष कायदानी जरूर नथो; कारण के एवां कृत्य करनारने फोजदारी निबंध प्रमाणे नशियते पहोंचाडी शकाय छे एम केटलाक इसमोए अमारा आगळ दलील करी छे, पण अमने ते बरोबर लागती नथी, जो मात्र नसाडवा भगाडवानोज प्रसंग होत तो कायदामा ठरावेला मनुष्यहरण के मनुष्यनयननां गुन्हा प्रमाणे शिक्षा थई शके. पण अहीं तो ते उपरांत दीक्षा आपी देवानो एटले के संसारी कारण माटे तेने मुवेला जेवो बनाववानो, कुटुम्बनी मिलकत उपर तेनो हक्क नष्ट करवानो महत्वनो बीजो प्रश्न पण छे. मनुष्यनयनना काममा १४ वर्षनो छोकरो के १६ वर्षनी छोकरी संमति आपे तेथी जे कृत्य थाय ते गुन्हो न बने ए बीजां कारणो माटे बरोबर होय तोपण साघु तरीके मुडी नांखवानी अने संसारमाथी नीकळी जवानी संमति आपवाने ए उमर योग्य गणाय के केम ए पण विचारवा जेवू छे. वळी जो सगीरने मात्र नसाड्या भगाड्यानो सवाल होय तो बीजो कोई खास कायदो करवानी आवश्यकता रहे नहीं एम मानीने चालीए तो पण संन्यास दीक्षा लेवी अने ते पाळवी ए एवं कठण काम छे के काची समजवाळा अने दीक्षामां शुं रहस्य समायलं छे तेनो पूरा ख्याल वगरना बाळको के बाळकीओ साधु पासे दोडी जाय अने ते एवा सगीरने मुंडो नांखे ए एथी कांई जुदोज प्रश्न छे अने तेने मात्र उपर जणावेली फोजदारी निबंधनी कलमोमां बतावेली उमरनी यत्ता बरोबर लागती नथी. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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