Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
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११
तेरापंथी.
२१. श्वेतांबरोमां तथा दिगंबरोमां पेटा शाखाओ छे ते पकी एक तेरापंथी तरीके ओळखाय छे, कारण के ए पंथने पुष्टी अपनारी संख्या मूळमां १३ ( तेरा ) हती. तेरा पंथ सांधु जीवन अतिशय प्रबळ भावे पाळवानो आग्रह राखे छे. माबाप के वालीनी लेखी परवानगी बगर कोईने दीक्षा आपत्रा देतो नयी अने दीक्षानी क्रिया जाहेरमां खुली रीते करावे छे. '
जैनधर्ममां दीक्षा.
२२. आगळ जणान्युं छे तेम संन्यास दीक्षा लेवानो खरो उद्देश कर्मनो क्षय करी मोक्ष मेळववानो छे अने ते जैन धर्मना अनुपायीओ घणी सारी रीते समजेला छे. तेमना धर्मग्रंथो उपरथी तथा तेमना आचार विचार उपरथी स्पष्ट जणाय छे के बीजी कोईपण त्यागी संस्था करतां सामान्य रीते जैन त्यागी संस्था ( साधु साध्वी ) वधारे त्यागवाळी अने चढीयाती छे.
२३. संसारना भौतिक प्रयासोने असार मानीने जेमणे तप करवा अने धार्मिक ध्यान करवा दीक्षा लीधी होय छे साधु अने साध्वी कहेवाय छे. जैन गृहस्थोए ( श्रावकोए ) पाळवानां पांच व्रत साधुओए पण पाळवानां छे पण तेमणे ते गृहस्थी करतां वधारे सख्त रीते अने तीव्र भावे पाळवानां होय छे. एटला माटे गृहस्थना ए व्रतने अणुव्रत कह्यां छे अने साधुना व्रतने महाव्रत कह्यां छे; ते नीचे प्रमाणे छे:
जैनसाधुए पाळवानां पांच व्रतो.
( १ ) अहिंसा - कोई जीवनी हिंसा के हत्या अजाणे पण न थाय तेत्रो प्रयत्न करवो.
(२) असत्य त्याग - पोताना शब्दे शब्द एत्री रीते तोली तोलीने बोलवा के अजाणे पण जूठु बोली जवाय नहीं.
( ३ ) अस्तेय - जे तेना मालिके आप्युं नथी ते लेवायज नहीं. ( ४ ) ब्रह्मचर्य - मैथुननो त्याग करवो.
(५) अपरिग्रह - मिलकतनो त्याग करवो.
२४. यतिव्रत पाळ ए घणुं कठण काम छे. संयमनो भार वहन करवो, ब्रह्मचर्य पाळ, टाढ तडका सहन करवा, ज्ञाननो अभ्यास कोण दीक्षा लई शके. करवो अने तप आदरवुं ए विगेरे विषम कार्यों यतिने करवां पडे छे. माटे तेवा पदने लायक होय तेज ते पद ग्रहण करे एवा उद्देशथी
१ सेन्सस ऑफ इंडीया रिपोर्ट, सन १९२१ अॅपेंडीक्स ४ धुं.
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