Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 27
________________ पाळी शके नहीं अने तेथी साधु वर्गनी अवनति थाय ए उघड छे. तेटला माटे जैन संघ एवा लोकोने साधु संघमांथी दूर करवा मूळचीज प्रयत्न करतो भान्यो छे. जेनो सुधारो नहीं तेनुं परिवर्तन नहीं; तेनो तो नाशज, लोपज संभवे छे. एज रीते विचार विनानुं सुधारक कार्य पण पुरतुं फळदायक थतुं नथी. परिच्छेद ३४ मां जणाव्या प्रमाणे जैनोमां ते प्रमाणे वखतोवखत सुधारो थतो आव्यो छे. अने तेने लीधेज तेमनी धर्म भावना तथा साधुवर्गनी शुद्धवृत्ति हिंदुधर्मना अनुयायीओने मुकाबले सारी रही छे. लगभग पचीसो वर्ष उपर थयेला छेला तीर्थंकर श्री महावीर स्वामीना अनुयायीओ अने अहिंसा धर्म तथा उच्च ज्ञानना विस्तारक जैन श्रमणोनी संस्कृतिमां समयने अनुसरी कदाच कंई शिथीलता आवी हो तो पण हजु सुधी ते बीजा धर्मना मुकाबले सारी रहेली छे. समय प्रमाणे दरेक राष्ट्र, दरेक प्रजा, दरेक समाज अने दरेक वस्तुमा फेरफार थतो रहे छे, ते छतां पण हिन्दुस्थानना साधुओमां जैन साधुओर्नु स्थान उंचज छे. आज पण तेमना त्यागने, तेमनी कष्टचर्याने, तेमना विकट नियमोने दुनियानी कोईपण साधु संस्था पोहोंची शके तेम नथी. कोडी जेटलं पण अर्थसाधन नहीं राखवानु, कोईने त्या बेसीने नहीं जमवाजें, पीवानुं पाणी पण मागीने लेवान, माथाना वाळ हाथे उखेडो नाखवार्नु अने पोताना खप पुरतो सामान पोतानी खांध उपर लादीने पगे मुसाफरी करवाने आजे बीजा कोईपण संप्रदायमा नथी. एटला माटे आवी उत्तम संस्था शुद्ध अने उच्च भावनावाळी राखवाने साधु दीक्षामां छेल्लां केटलांक वर्षथी दाखल थयेलु होवान कहेवामां आवतुं अयोग्यपणुं जाहेरमां लाशी तेमा सुधारो कराववा जैन धर्मना केटलाक केळवायेला युवको तथा शुभेच्छको कंई समयथो उहापोह करी रह्या छे अने तेने परिणामे अमारे जेनी जरुरियात के बीनजरुरियातनो विचार करवानो छे ते कायदानो खरडो श्रीमंत सरकार महाराजा साहेबे तैयार करावी लागता वळगता तरफथी सूचनाओ मंगावी छे. प्रकरण ३ जु. अयोग्य दीक्षा अपाय छे के ? ३७. वडोदरा राज्यमा प्रचलित मुख्य धर्मोमो संन्यास दीक्षा संबंधी शास्त्रथी केवी रीते ठरेलुं छे ए विषे पाब्ला प्रकरणमा दिग्दर्शन कर्या आयोग्य दीक्षा. _ पछी हवे केटलाक तरफथी आक्षेप करवामां आवे छे तेम दीक्षा आपवामां कई अघटित के अयोग्य थाय छे के केम अने थतुं हशे तो शुं अने ते अटकाववा शा उपाय लेवानी जरूर छे तेनो विचार करवानो रहे छे. हिंदु संन्यासनी उत्तम भावनामां काळे करीने केटली अधमता पेठा छे अने योडा अपवाद रूप सारा संन्यासी बाद करतां बाकीनो मोटो भाग केवो ढोंगी अने केवळ उपद्रवकारक थई पडयो छे ए बीजा प्रकरणमां बताववामां आव्युं छे ( परिच्छेद १७). एम छतां Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96