Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
View full book text
________________
१७
३०. उपर प्रमाणे जेने दीक्षा आपवार्मा आवी होय ते साधु ( यति ) तरीके आचार्य.
ओळखाय छे. श्वेतांबरोमां दीक्षा थया पछी साधुने
आध्यात्मिक क्रियाओ करवानी होय छे; ते द्वारा ते छेदोपस्थापनीय नामे चारित्रना बीजा पद उपर आवे छे. तप, कषाय शुद्धि अने भौतिक वासनामांथी मुक्ति द्वारा ए चारित्रना बाकीनां त्रण पद उपर चढे छे. आटला माटे गुरु जे बतावे ते धर्म साधुए पाळवानो होय छे. ते उपरांत बीजा अनेक विधि पाळवाना होय छे. ए धर्मर्नु अने विधिनु उल्लंघन थतां तेणे प्रतिक्रमण अने प्रायश्चित करवू पडे छे. ए प्रमाणे अनेक प्रकारनी आध्यात्मिक क्रिया कर्या पछी यतिने लायक उपाध्याय के आचार्यने पदे लेवामां आवे छे. ए प्रसंगे अनेक प्रकारनी तैयारीओ थाय छे, समवसरणनी प्रदक्षणा थाय छे, स्तोत्रो अने मंत्रो भणाय छे अने अनेक प्रकारनी क्रियाओ थाय छे. आचार्य बनाववानी क्रिया महत्वनी छे. ते प्रसंगे आचार्य थनारने माटे पहेरवानां वस्त्रने राते अमुक क्रियाथी शुद्ध करवामां आवे छे. त्यार पछी बे आसन मुकाय छे, तेमांना एक उपर गुरु बेसे छे अने बीजा उपर अक्षसमूह (स्थापनाचार्य) मूकाय छे. केटलीक क्रिया थया पछी गुरु आचार्य थनार यतिना कानमा त्रणवार सूरिमंत्र भणे छे अने तेना हाथमां अक्षसमूह मुके छे. त्यार पछी तेनु नवु नाम पाडे छे ते घणु कराने तेना यति तरीकेना नामने उलटावीने पाडे छे अने तेने सूरि पद लगाउवामां आवे छे; जेम के इंद्रविजयर्नु नवु नाम विजयइंद्रसूरि पाडवामां आवे छे; त्यार पछो ए नवा आचार्य बेमांना एक आसन उपर बेसे छे अने गुरु तथा हाजर होय ते बीजा बधा एमने नमस्कार करे छे. ३१. श्वेतांबर अने दिगंबर ए बे मोटा संप्रदायमा अनेक गण, गच्छ अने
संघ होय छे. सर्वसामान्य आचारथी के विचारयी भिन्न
थता गुरुओ पोतानो संप्रदाय जूदो करी बेसे छे तेने लीधे एवां अलग अलग मंडळ बनेलां होय छे. छेक प्राचीन काळमां भद्रबाहुना रचेगा कल्पसूत्रमा पण एवी रीते जूदा पडेला गण, कुळ अने शाखानां नाम आपेलां छे. हालमां मूर्तिपूजक श्वेतांबरोमां जे गच्छो छे तेमां तपा, खरतर, पायचन्द अने अंचल ए मुख्य छे. समस्त गच्छना उपरी भट्टारक अथवा श्रीपूज्य कहेवाय छे. गच्छमा बीजा पण यतिमंडळ होय छे अने ते दरेकना उपरी आचार्य कहेवाय छे. आचार्यनो नीचे उपाध्याय, वाचक ( पाठक) होय छे ते शास्त्रनी कथा करे छे. उपाध्यायनी नीचे पंन्यास होय छे ते यतिओए करवानी क्रिया उपर नजर राखे छे. पंन्यास नीचे गणी होय छे. तेमणे भगवती सुधीनो अभ्यास करेलो होय छे अने ते बीजा मुनओ उपर नजर राखे छे. उपरना बधा मुनि कहेवाय छे. ३२. हिंदु धर्मन। त्यागीओ उपर संमारीओनो बिलकुल अंकुश नथी. हिंदु
. ओमां सन्यासी साधु भ्रष्ट थाय ता तेमना उपर नयी हिंदु अने जैन साधु रचनानी सरखामणी.
आचार्यनो अंकुश के नथी हिंदु धर्मना गृहस्थोनो अंकुश. परिणाम ए आव्यु छे के हिंदुओ आवा मिथ्याचारीने
गच्छ.
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96