Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

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Page 16
________________ दिगंबरी जैनना पहेरता नथी. हाल तो ए भेद नामनोज छे कारण के आजे तो नग्न दिगंबर साधुओ तो गण्या गांठ्याज छे अने ते पण जंगल विगेरे एकांत स्थळमांज रहे छे. श्वेतांबर अने दिगंबर सामाजिक संप्रदायना बंधारणमां भेद छे खरो पण तेनुं मूळ पण वस्त्रो संबंधेना मतभेदने लीधेज छे. ए भेदने लीधे तेमना मंतव्यो अने क्रियाकांडमां पण भेद पडी गयो छे. दिगंबरो माने छे के स्त्री निर्वाण पामी शके नहीं; तेमनी भावना प्रमाणे तीर्थकरो नग्न होय तेथी तेओ तेमनी प्रतिमाने वस्त्र के आभूषण पहेरावता नथी पण श्वेतांबरो पहेरावे छे. जो के बन्ने संप्रदायना मंतव्यों अने भावनाओमां भेद छे अने बन्नेनी बच्चे कई विरोधभाव पण छे तो पण ते विरोध कदापि तक्ष्ण रूप धारण करतो नथी. बन्ने संप्रदायोनां मूळ समान छे अने परस्परनो आध्यात्मिक संबंध ते कदापि भूल्या नथी. आम बनवानुं खास कारण ए छे के एक संप्रदायना लोको बीजा संप्रदायना आध्यात्मिक अने आधिभौतिक ग्रंथोनो उपयोग करे छे अने एक संप्र. दायना विद्वानोए बीजा संप्रदायना ग्रंथो उपर टीकाओ पण लखी छे.' २०. श्वेतांबरी जैन धर्मनो एक नवो संप्रदाय सुमारे साडी चारसो वर्ष उपर उपस्थित थयो छे. जेम मुसलमानी राज्यकाळमां तेमना स्थानकवासी संप्रदाय, मूर्तिपूजा विरोधीना वलणने लीधे हिंदुओमां नानक, दादु ९ विगेरे सुधारक उभा थया हता अने तेमणे मूर्तिपूजा विरुद्ध विरोध उभो करी पोतपोताना जूदा संप्रदाय स्थाप्या हता, तेम जैनोमां पण लोकाशा नामना अमदावादना श्वेतांबरी पंथना एक श्रावके मूर्तिपूजा विरुद्ध विरोध उभो को हतो. काळे करीने खवाई जता केटलाक ग्रंथोनो समूळगो नाश न थई जाय एटला माटे तेणे तेनी नकलो करावी लोधी अने ते वांचवाथी तेने एवं जणायुं के ए ग्रंथोमां तो ते समये चालती मूर्तिपूजा हतीज नहीं. आथी तेणे विशेष संशोधन करवा मांडयु, ते उपरथी ते एवा निर्णय उपर आव्यो के सूत्रोमा मर्तिपूजा स्वीकारलीज नयी. ते उपरथी तेना मतने संमत थनाराए एक नवो संप्रदाय उभो कर्यो ते ढुंडीआ ( शधनार ) नामे प्रसिद्ध थयो अने गुजरातना घणा श्रावकोने पोताना शिष्य बनावी शक्यो. टुंडीआ पोताने स्थानकवासी श्वेतांबर कहे छे कारण के ते संप्रदायना सर्व व्यवहार मंदीरमां नहि पण 'स्थानक ' मां उपाश्रयमां थाय छे. संख्यामां आजे स्थानकवासीओ अने दिगंबरो मळीने लगभग मूर्तिपूजक श्वेतांबरो जेटला छे अने तेथी जैनधर्मना त्रीजा संप्रदाय जेवो एमना संप्रदायने गणी शकाय एम छतां पण स्थानकवासी पोताने श्वेतांबरज माने छे; कारण के थोडा मतभेदने बाद करतां घणीखरी रीते ते श्वतांबरोने मळता छे. १ (१) वडोदरा राज्यनो १९११ नो सेन्सस रिपोर्ट पान ९२. तथा (२) प्रोफेसर ग्लाझेनाथ कृत जैन धर्म पान ४०. २ वडोदरा राज्यनो १९११ नो सेन्सस रिपोर्ट पृष्ठ ९३. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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