Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ १७. घणाखरा हिन्दु साधुमा तेमना कपडा शिवाय बीजा कई साधुगुण होती ढोंगी स धु. नथी. साधु, संन्यासी ए विगेरे नाम धारण करी घेणा जण देवस्थान, तीर्थस्थान विगेर ठेकाणे पड्या पाथयों जोवामां आवे छे तेम टोळाबंध के छटा फरता जीवामां आवे छे; ते बधा हिंदुधर्म शास्त्रानुसार थयेला खरेखरा संन्यासी नगी होता. भोळा, भाविक हिन्दुओ अने विशेष करीने हिन्दु स्त्रीओ साधुओने महाराज, बापजी, ए विगेरे नामथी संबोधी धार्मिक भावनाथी पवित्र माने छे अने तेमने माटे सदावत स्थापन करीने अंगर पोताने आंगणे मागवा आवे त्यारे अन्न विगेरे आपीने तेमने पोषे छे अने तेथी उदर निर्वाह माटे हजारो लोको साधुना वेषमा फरता जोवामां आवे छे. तेओ दुराचारी होय छे एटलुज नहीं पण साघुनां करडां पहेरेलां छतां उघाडी रीते साथे रामकीओ लईने फरतां पण शरमाता नथी. कोळी, वावरी विगेरे गुन्हा करनारी जातोना लोको पण साधुनो वेश करी चोरी करवानो के खातरं पाडवानो लाग शोधता पण फरता जोवामां आवे छे. आवा लोकोनी भरती रझळता, रखडता, रोगपीडित, भुखे मरता, अपंग आंधळां वगेरे अन्य प्रकारना लोकोयी थाय छे अने तेमनी साथे स्त्रीओ अने छोकरां पण जोवामां आवे छे अने ते घणे भागे काढो आणेलां आगर तेमना जेवाज रखडता रझळता मालम पंडी आववाथी साथै लीधेलां होय छे. आखा हिंदुस्थानमा लगभग साठ लाख जेटली आवा साधुओनी मोटी संख्या कंईपण महेनत कर्या वगर बीजाओनी कमाई उपर आजीविका चलावे छे तेथी अनुत्पादिक द्रव्यनो केटलो बधो व्यय थाय छे तेनो सहेज ख्याल करी शकाय छे. जैनधर्म. १८. हिन्दु अने जैनधर्म जूदा हे तोपण ए बन्नेमां केटलीक बाबतोमा घणी साम्यता छे ते पैकीनी एक बाबत संन्यास संबंधी छे. जैन धर्ममां संन्यास दीक्षा. ___ जेने हिंदुमां संन्यास लेवो कहे छे तेने जैनोमां दीक्षा लेंवी कहें छे. संसारनी घटमाळमांयी छूटी निर्वाण पामवानी इच्छा एज संन्यास दीक्षा लेंबाना तत्वज्ञानन बन्ने धर्ममां मध्य बिन्दु छे. परंतु संन्यास दीक्षा लेवानी लागणी हिंदुओ करतां जैनोमा घणी तीव्र होय छे; अने जैनधर्म पण तेना अनुयायीओ जेओ श्रावक तरीके ओळखाय छे तेमने बनती त्वराए दोक्षा लई कर्मनां बंधनमांथी मुक्त थई मोक्ष मेळववा आग्रहपूर्वक बोध करे छे. १९. जैनधर्मना अनुयायीमां सुमारे बे हजार वर्ष उपर बे विभाग ( संप्रदाय ) जैनधर्मना संप्रदाय-श्वेतांवर पड्या हताः-(१) श्वेतांबरी अने (२) दिगंबरी. ते अने दिगंबर. समययी ए बन्ने संप्रदाय पोतपोताने मार्ग चाल्या गया छे; ए बे बच्चे विच्छेद पडी गया छतां एमनी बच्चेनो भेद कई महत्त्वनो नथी. साधुना वस्त्रोमा ए भेद खास देखाई आवे छे. श्वेतांबरोना साधु कपडा पहेरे छे पण Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96