Book Title: Sannyas Diksha Pratibandhak Nibandhna Musadda Uper Vichar Karva Nimayeli Samitinu Nivedan
Author(s): Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
Publisher: Sanyas Diksha Pratibandhak Samiti
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प्रकरण २ जॅ.
सन्यास. ९. हिंदु, जैन अने बीजा केटलाक धर्ममां एवी मान्यता छे के कर्यां कर्म
भोगववानां छे अने ज्यां सुधी कर्मनो क्षय थई जीवात्मा संन्यास लेवानो उद्देश.
परमात्मा साथे मळी जई मोक्ष न थाय त्यां सुधी करेला कर्म प्रमाणे पुनर्जन्म लेवो पडे छे. जे कर्मनां फळ माणसयी वर्तमान जीवनमां पूरेपुरा भोगवी लेवातां नयी ते मृत्यु पछी पण वळगी रहे छे अने नवा भवन कारण बने छे. तेवो प्रसंग बने तेटलो थोडो आवे अने कर्मनो क्षय थई मुक्ति मळे एटला माटे संसारना भौतिक प्रयासोने असार मानीने तेनो त्याग करी धार्मिक ध्यान धरवा अने तप करवा हिंदु अने जैन धर्ममा संन्यास लेवामां आवे छे; अने केटलाक धर्ममा संन्यास न लेतां दुनियामां रहीनेज साधुजीवन गाळवामां आवे छे. आ बाबतमा प्रचलित मुख्य धर्म हिंदु, जैन, मुस्लीम, झोरोस्ट्रीयन अने ख्रिस्ती धर्ममां शी रीते ठरेलु छे तेनु टुंकामां दिग्दर्शन करवाथी कायदाना जे खरडानो समितिए विचार करवानो छे ते उपर कई अजवाळु पडी, तेनो योग्य निर्णय करवाने मदद रूप थशे एम लागवाथी प्रथम ए जूदा जूदा धर्ममा संन्यास लेवा माटे शी रीते ठरेलुं छे ते जोईशं.
____इस्लाम धर्म. १०. इस्लाम धर्ममा संन्यास लेवानें कांई छेज नहीं. ए धर्मना फरमान प्रमाणे
- संन्यास लेवायज नहीं. खुद्द पेगंबर साहेबे फरमान कर्यु इस्लाम धर्ममां संन्यास नथी.
" छे के खुदाए मनुष्य माटे उपयोगनी जे जे वस्तुओ पेदा करी छे तेनो उपभोग करवानुं वर्जित न करवू जोइए.' रमजानमा अपवास करवानु, शराब नहीं पीवानु, पांच वखत बंदगी करवानु, मक्कानी जात्रा करवान ए विगेरे फरमान पेगंबर साहेबे करेलां छे ते संसारमा रही धार्मिक जीवन गाळवाने माटे छे. सर्व कोईए खुदा उपर आकीन राखी पोतपोतानुं कर्तव्य करवानुं फरमान करवामां आव्यु छे पण संसारनो त्याग करी संन्यासी बनी जवान कोई ठेकाणे फरमान करेलं नथी. इस्लाम धर्ममा मुल्लां, मोलवी, मौलाना, पीर विगेरे नामथी ओळखाता विद्वान् धर्मगुरुओ होय छे पण ते लग्न करी घरबारी तरीके रही शके छे. आवा उत्तम कोटीना धर्मगुरुओ उपरांत दरवेश, फकीर विगेरे नामयी अर्धनग्न अगर विचित्र पोशाकमां भीख मागवा माटे रखडता फरता इसमो जोवामां आवे छे ते पण घरबारी तरीके रही शके छे. तेमांना केटलाक फक्कड (कुंवारा) तरीके रहे छे पण एवी रहेणी करणीने इस्लाम धर्मशास्त्रनी कंई अनुमती नथी. फकीरोमां बेशरा अने बाशरा एवा बे विभाग होय छे. बेशरा-शरा विरुद्ध वर्तनारा-परणता नथी पण बाशरा-शरा प्रमाणे वर्तनारा-परणे छे अने घरबारी तरीके रहे छे. फकीरो घणा प्रकारना होय छे पण तेमां
१ वडोदरा राज्यनो १९११ नो सेन्सस रिपोर्ट, पान १०२.
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