Book Title: Samvayang Sutra
Author(s): Nemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
Publisher: Akhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh

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Page 12
________________ [11] पृष्ठ २५० २५५ २५६ २५६ २५८ २६० २६१ २६१ २६३ २६५ २६६ २६६ क्र. विषय ८४. चौरासीवां समवाय ८५. पच्चासीवां समवाय ८६. छियासीवां समवाय ८७. सित्यासीवां समवाय ८८. अठयासीवां समवाय ८९. नवासीवां समवाय ९०. नब्बेवां समवाय ९१. इकानवां समवाय ९२. बाणवां समवाय ९३. तराणुवां समवाय ९४. चौरानवां समवाय ९५. पंचानवां समवाय ९६. छयानवां समवाय ९७. सतानवां समवाय ९८. अठानवां समवाय ९९. निन्यानवां समवाय . . . १००. सौ वां समवाय १०१. प्रकीर्णक समवाय १०२. बारह अंग सूत्र १०३. राशि का वर्णन १०४. अरूपी अजीव का वर्णन १०५. रूपी अजीव का वर्णन १०६. नैरयिकों का वर्णन १०७. सातवीं नरक का वर्णन १०८. असुरकुमारों का वर्णन १०९. पृथ्वीकाय से लेकर वाणव्यंतर देवों तक का वर्णन ११०. ज्योतिषी देवों का वर्णन १११. वैमानिक देवों का वर्णन २६८ २६९ २६९ २७१ २७३ २७५ २९१ ३५५ ३५६ ३५६ ३५७ ३६२ ३६३ ३६७ ३६९ ३७१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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