Book Title: Samaysundar Kruti Kusumanjali
Author(s): Agarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
Publisher: Nahta Brothers Calcutta

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Page 6
________________ समर्पण जिनके "कविवर समयसुन्दर" निबन्ध ने हमें साहित्यक्षेत्र में आगे बढ़ने का अवसर दिया, जिनके "जैन गूर्जर कविओ" भाग १-२-३ व "जैन साहित्य नो संक्षिप्त इतिहास" ग्रन्थ जैन साहित्य और इतिहास के लिए परम प्रकाश पुञ्ज हैं, उन्हीं सहृदय, परम अध्यवसायो, शोध निरत, महान् परिश्रमी और निष्णात साहित्य-महारथी स्वर्गीय श्री मोहनलाल दलीचन्द देसाई (एडवोकेट, बम्बई हाईकोर्ट) महोदय की मधुर स्मृति में यह सयमसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि सादर समर्पित है। अगरचन्द नाहटा, भंवरलाल नाहटा. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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