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इस प्रयास में मेरा अपना कुछ भी नहीं है, सभी गुरुजनों का दिया हुआ है, इसमें मैं अपनी मौलिकता का भी क्या दावा करूँ? मैंने तो अनेकानेक आचार्यों, विचारकों एवं लेखकों के शब्द एवं विचार-सुमनों का संचय कर माँ सरस्वती के समर्पण हेतु इस माला का ग्रंथन किया है। जिसे आपके समक्ष प्रस्तुत कर रही हूँ।
डॉ. प्रीतम सिंघवी
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