Book Title: Ratnapala Nrup Charitra Author(s): Surendra Muni Publisher: Pukhraj Dhanraj Sheth View full book textPage 6
________________ // श्री जिनेन्द्रायनमः॥ परम सुविहित नामधेय सकलागम रहस्यवित् पूज्य अनुयोगाचार्य पन्यासजी श्री हीर के मुनिजी महाराज साहिव की संक्षिप्त र जीवन प्रभा सौराष्ट्र प्रान्त में सुरासुर नरसेवित परम पवित्र तीर्थाधिराज श्री शत्रुजय महागिरि की शीतल छाया में अगण्य पुण्यशाली वापी. वप्र. विहार वर्ण वनितादि से मण्डित शिहोर नाम का नगर है। उसी नगर में आपका जन्म संवत् 1945 के आषाढ़ शुक्ला द्वितीया को जैन वीशा श्रीमाली जाति में हुया था। आपके पिता का नाम मावजी भाई एवं माता का नाम दिवाली देवी था। पुत्र-जन्म से माता-पितादि के हर्ष का पार न रहा और इस खुशी के उपलक्ष में जिन प्रासाद में अष्टान्हिका महोत्सव, दीन दुखियों को दानादि _ दिया। तत्पश्चात् सूतक निवृत्ति के बाद स्वजन-वर्ग के सन्मुख नवजात शिशु का नाम * हीरालाल * रक्खा गया। वास्तव में "यथा नाम तथा गुण" की कहावत के अनुसार P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak TrustPage Navigation
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